अदालत ने अमेजन के वकील की निचली अदालत के उस फैसले की समीक्षा करने का अनुरोध ठुकरा दिया, जिसमें कहा गया कि अमेजन ने राज्य के प्रस्ताव 65 का उल्लंघन किया. इस प्रस्ताव के तहत कंपनियों को ग्राहकों को उन उत्पादों के बारे में आगाह करना होता है, जिसमें ऐसे रसायन होते हैं जिनसे कैंसर, प्रजनन या जन्म संबंधी दिक्कतें होती हैं.
यह मामला अलमेडा काउंटी में दायर एक मुकदमे से जुड़ा है, जिसमें कहा गया है कि ऑनलाइन रिटेल कंपनी ने जानबूझकर त्वचा को चमकदार बनाने वाली क्रीम वर्षों तक अपनी वेबसाइट पर बिना यह चेतावनी दिए बेची कि ऐसी क्रीम में जहरीले पारे का स्तर कितना ज्यादा होता है. यह भी पढ़ें : Digital Ration Cards: उत्तराखंड में लोगों को दिया जाएगा डिजिटल राशन कार्ड, जुलाई के अंत में शुरू होगा वितरण
पारा गर्भवती महिलाओं और उनके भ्रूण को नुकसान पहुंचा सकता है. अमेजन ने उच्चतम न्यायालय के फैसले पर अभी कोई टिप्पणी नहीं की है.