नयी दिल्ली, 10 मई: उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के बर्खास्त अधिकारी संजीव भट्ट की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने 1990 के हिरासत में मौत मामले में उनकी दोषसिद्धि के खिलाफ गुजरात उच्च न्यायालय में उनकी अपील का समर्थन करने के लिए अतिरिक्त साक्ष्य पेश करने संबंधी अर्जी पर सुनवाई से न्यायमूर्ति एमआर शाह को अलग करने का अनुरोध किया था. यह भी पढ़ें: Muzaffarnagar Riots: महिला से सामूहिक बलात्कार के दो आरोपियों को 20-20 साल कैद की सजा
भट्ट के वकील ने मंगलवार को दलील दी थी कि न्यायमूर्ति शाह के मामले में पूर्वाग्रह से ग्रसित होने की आशंका उचित थी, क्योंकि उन्होंने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में उसी प्राथमिकी से जुड़ी भट्ट की याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को फटकार लगाई थी.
हालांकि गुजरात सरकार के वकीलों और शिकायतकर्ता ने इसका विरोध करते हुए सवाल किया कि भट्ट के वकीलों ने पहले आपत्ति क्यों नहीं की. न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति सी. टी.रविकुमार की पीठ ने भट्ट की अर्जी खारिज कर दी. भट्ट ने प्रभुदास वैष्णानी की हिरासत में मौत के मामले में अपनी दोषसिद्धि को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी। वैष्णानी को सांप्रदायिक दंगे के बाद जामनगर पुलिस ने पकड़ा था.
मंगलवार को भट्ट की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने दलील दी थी कि न्यायमूर्ति शाह ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में एक ही प्राथमिकी से उत्पन्न भट्ट की याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को फटकार लगाई थी.
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)