इंफाल, आठ मई हिंसा प्रभावित मणिपुर में सोमवार को सुबह कुछ घंटों के लिए कर्फ्यू में ढील देने के साथ ही जनजीवन धीरे धीरे सामान्य स्थिति में लौटने लगा है। अधिकारियों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इंफाल में लोग जरूरी सामान खरीदने के लिए अपने घरों से निकले।
अधिकारियों ने बताया कि कर्फ्यू में ढील के दौरान सेना के ड्रोन और हेलीकॉप्टरों के जरिए स्थिति पर नजर रखी गई। पिछले कुछ दिनों से जातीय हिंसा से प्रभावित विभिन्न क्षेत्रों में सेना और असम राइफल्स के जवानों ने फ्लैग मार्च किया।
उन्होंने बताया कि गत बुधवार को हिंसा भड़कने के बाद मणिपुर में सेना की 100 से अधिक कॉलम को तैनात किया गया। हिंसा प्रभावित राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए असम राइफल्स, अर्धसैनिक बल और राज्य पुलिस के लगभग 10,000 सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं।
रक्षा के एक प्रवक्ता ने बताया कि निगरानी के लिए विमानन संपत्ति की तैनाती को बढ़ाया गया है। उन्होंने बताया कि मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) और हेलीकॉप्टरों को न केवल भीतरी इलाकों में बल्कि भारत-म्यामां सीमा पर भी निगरानी के लिए तैनात किया गया है।
उन्होंने बताया, “आधुनिक सैन्य युद्ध में तीसरे आयाम का उपयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह सुरक्षा बलों को न केवल राष्ट्र-विरोधी तत्वों की निगरानी करने में मदद करता है बल्कि उन तत्वों को भी लक्षित करता है जो महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।” उन्होंने बताया, “इन संपत्तियों के इस्तेमाल से सेना और असम राइफल्स की प्रभाव क्षमता को काफी बढ़ावा मिल रहा है।”
प्रवक्ता ने बताया कि दूसरी तरफ शिविरों से मणिपुर घाटी स्थित विद्रोही समूहों द्वारा किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
गौरतलब है कि मणिपुर में बहुसंख्यक मेइती समुदाय द्वारा उसे अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर’ (एटीएसयूएम) की ओर से बुधवार को आयोजित ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान चुराचांदपुर जिले के तोरबंग क्षेत्र में हिंसा भड़क गई थी, जो रातोंरात पूरे राज्य में फैल गई थी। इस हिंसा में कम से कम 54 लोगों की जान चली गई।
मणिपुर की कुल आबादी में मेइती समुदाय की 53 प्रतिशत हिस्सेदारी होने का अनुमान है। इस समुदाय के लोग मुख्यत: इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी सहित अन्य आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत के करीब है तथा वे मुख्यत: इंफाल घाटी के आसपास स्थित पहाड़ी जिलों में रहते हैं।
अधिकारियों ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से जारी जातीय हिंसा और अराजकता के कारण प्रभावित क्षेत्रों में फंसे करीब 23,000 लोगों को अभी तक निकाला गया है और इन्हें सैन्य छावनियों में भेजा गया है।
हिंसा भड़कने के बाद बुधवार को लगाए गए कर्फ्यू में, लोगों के जरूरी सामान खरीदने के मद्देनजर पश्चिमी इंफाल जिले में सुबह पांच बजे से आठ बजे तक ढील दी गई। इस दौरान लोग आवश्यक सामग्री की खरीदारी के लिए बड़ी संख्या बाहर निकले। वहीं, इंफाल में तड़के ऑटोरिक्शा सहित कई वाहन भी सड़कों पर दौड़ते नजर आए। इस दौरान उपरिकेंद्र सहित राज्य के विभिन्न हिस्सों में पेट्रोल पंपों के बाहर कारों और अन्य वाहनों की लंबी कतारें भी देखी गईं।
मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि वह हिंसा प्रभावित राज्य में स्थिति को सुधारने में मदद के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा किए गए समर्थन को लेकर उनके आभारी हैं।
उन्होंने कहा, “स्थिति पर नजर रखने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि राज्य में आगे कोई हिंसा न हो, मैं लगातार गृह मंत्री के कार्यालय के संपर्क में हूं।”
उन्होंने कहा, “अर्धसैनिक और राज्य बल हिंसा को नियंत्रित करने और राज्य को सामान्य स्थिति में लाने के लिए एक अनुकरणीय कार्य कर रहे हैं। मैं राज्य के लोगों के सहयोग के लिए उनकी भी सराहना करता हूं।”
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