माकपा ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ अवमानना कार्रवाई का अनुरोध करते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राज्यसभा सदस्य विकास भट्टाचार्य ने बुधवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय का रुख कर पश्चिम बंगाल में हजारों शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को बर्खास्त करने संबंधी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की टिप्पणी के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए अवमानना की कार्रवाई की मांग की.
कोलकाता, 15 मार्च : मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राज्यसभा सदस्य विकास भट्टाचार्य ने बुधवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय का रुख कर पश्चिम बंगाल में हजारों शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को बर्खास्त करने संबंधी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) की टिप्पणी के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए अवमानना की कार्रवाई की मांग की. भट्टाचार्य ने न्यायमूर्ति टी. एस. शिवज्ञानम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष मौखिक अनुरोध किया कि उनके (ममता के) खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू की जाए. भट्टाचार्य एक वरिष्ठ अधिवक्ता हैं और विभिन्न मामलों में कई रसूखदार लोगों की ओर से अदालत में पेश हो चुके हैं.
खंडपीठ ने भट्टाचार्य से कहा कि वह अदालत के समक्ष एक हलफनामे में अपनी बात रखें जिसके बाद वह फैसला करेगी. ममता बनर्जी ने मंगलवार को अलीपुर अदालत में एक कार्यक्रम के दौरान, राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित और वित्त पोषित स्कूलों में शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को बर्खास्त किए जाने पर बात की. बर्खास्तगी का आदेश उच्च न्यायालय ने कुछ अभ्यर्थियों द्वारा दायर याचिकाओं पर दिया था जिन्होंने दावा किया था कि भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं के कारण उन्हें (कर्मचारियों को) नौकरियों से वंचित होना पड़ा. उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक व्यक्ति नौकरियां छीनने का प्रयास कर रहे हैं. यह भी पढ़ें : न्यायालय ने दवाओं की ऑनलाइन ‘अवैध’ बिक्री पर प्रतिबंध की याचिकाओं पर केंद्र से स्थिति रिपोर्ट मांगी
बनर्जी ने यह भी कहा कि अनियमितताओं के लिए जिम्मेदार लोगों को दंडित किया जाना चाहिए, जबकि नौकरी गंवाने वालों को एक नया मौका दिया जाना चाहिए ताकि उन्हें अपनी नौकरी वापस मिल सके. उच्च न्यायालय ने विभिन्न आदेशों के माध्यम से लगभग 3000 कर्मचारियों को बर्खास्त करने का निर्देश दिया, क्योंकि उसने पाया कि राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित और वित्त पोषित स्कूलों में शिक्षण तथा गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती में गंभीर अनियमितताएं की गई थीं. पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (डब्ल्यूबीबीएसई) ने राज्य के स्कूल सेवा आयोग की सिफारिश पर राज्य भर के विभिन्न विद्यालयों में ये नौकरियां दी थीं.