देश की खबरें | निर्वाचन आयोग से मिले माकपा नेता, आनुपातिक प्रतिनिधित्व की पैरवी की

नयी दिल्ली, 10 मई मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने शनिवार को निर्वाचन आयोग को चुनावी सुधार के कुछ कदम सुझाते हुए आग्रह किया कि देश में आनुपातिक प्रतिनिधित्व की दिशा में बढ़ना चाहिए।

वामपंथी दल के एक प्रतिनिधिमंडल ने आयोग के शीर्ष अधिकारियों के साथ मुलाकात की।

मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार के कार्यभार संभालने के बाद से आयोग पार्टियों की चिंताओं को बेहतर ढंग से समझने के लिए राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों के साथ चर्चा कर रहा है।

माकपा के प्रतिनिधिमंडल में पार्टी महासचिव एम ए बेबी, पोलित ब्यूरो सदस्य नीलोत्पल बसु और वरिष्ठ नेता मुरलीधरन शामिल थे।

वाम दल ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त सहित अन्य निर्वाचन आयुक्तों की चयन प्रक्रिया पर भी चिंता व्यक्त की।

बैठक के बाद बेबी ने कहा, "हमने विभिन्न मुद्दों पर काफी विस्तार से माकपा के विचार रखे। कुछ मुद्दे चुनावी प्रक्रिया में संशोधनों से संबंधित हैं, जैसे आनुपातिक प्रतिनिधित्व, जिसकी हमने मांग की है... यह निर्वाचन आयोग के दायरे में नहीं है...।"

आनुपातिक प्रतिनिधित्व एक ऐसी व्यवस्था है, जिसके तहत चुनाव में सिर्फ सीट से नहीं, बल्कि मत प्रतिशत के आधार पर भी प्रतिनिधित्व का निर्धारण होता है।

माकपा ने विधि आयोग की उस सिफारिश का हवाला दिया, जिसमें लोकसभा में सीट की संख्या 25 प्रतिशत बढ़ाने का सुझाव दिया गया था, जो आनुपातिक प्रतिनिधित्व द्वारा भरी जा सकती थीं, जबकि मौजूदा 543 सीट प्रत्यक्ष चुनाव के माध्यम से भरी जाती हैं।

वाम दल ने यह भी कहा कि प्रस्तावित परिसीमन प्रक्रिया और जिस तरीके से इसे लागू करने की बात की गई है, उससे कई चिंताएं पैदा हो रही हैं।

उसने "एक राष्ट्र, एक चुनाव" के विचार का विरोध किया।

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