न्यायालय को स्वरोजगार जनित जनहित याचिकाओं पर विचार नहीं करना चाहिए: केन्द्र
जमात

नयी दिल्ली, 15 अप्रैल केन्द्र ने कोविड-19 महामारी की वजह से लागू लॉकडाउन के दौरान गरीबों को राहत दिलाने के नाम पर दायर जनहित याचिका का बुधवार को उच्चतम न्यायालय में विरोध करते हुये कहा, ‘स्वरोजगार जनित’ याचिकाओं पर उसे विचार नहीं करना चाहिए।

न्यायमूर्ति एन वी रमण की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष केन्द्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ‘‘ये स्वरोजगार जनित याचिकायें हैं। इस न्यायालय को ऐसी याचिकाओं पर विचार नहीं करना चाहिए।’’

यह पीठ सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश की जनहित याचिका पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई कर रही थी। याचिका में कोरोना वायरस महामारी के प्रसार को रोकने के लिये लागू लॉकडाउन के दौरान गरीबों, बेघरों और समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को तत्काल राहत दिलाने का अनुरोध किया गया था।

न्यायालय ने कोविड-19 पर काबू पाने के लिये लागू लॉकडाउन के दौरान गरीबों को राहत पहुंचाने और जरूरतमंदों की मदद के लिये केन्द्र के उपायों के बारे में मेहता के कथन का संज्ञान लेने के बाद अग्निवेश की याचिका का निस्तारण कर दिया।

इससे पहले भी केन्द्र ने हर्ष मंदर और अग्निवेश सरीखे कार्यकर्ताओं द्वारा जनहित याचिकायें दायर करने का विरोध करते हुये कहा था कि देश में व्याप्त इस अप्रत्याशित परिस्थितियों से उबरने तक इस तरह की ‘पेशेवर पीआईएल दुकानों पर ताला लगा दिया जाना चाहिए।’’

सरकार ने कहा था कि जमीनी हकीकत की जानकारी के बगैर ही वातानुकूलित कार्यालय में बैठकर जनहित याचिका तैयार करना ‘जन सेवा नहीं है जो उन्हें (कार्यकर्ताओं) को जनहित के मुकदमे में बहस करने का अधिकार प्रदान करे।

अनूप

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