न्यायालय ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में फैसले के लिये 31 अगस्त नयी समय सीमा निर्धारित की
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नयी दिल्ली, आठ मई उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या में 1992 राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवादित ढांचा गिराये जाने की घटना से संबंधित मुकदमे की सुनवाई पूरी करने के लिये शुक्रवार को विशेष अदालत का कार्यकाल तीन महीने बढ़ा दिया। न्यायालय ने कहा कि इस मामले में 31 अगस्त तक फैसला सुनाया जाना चाहिए। इस मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती सहित कई वरिष्ठ नेता आरोपी हैं।

शीर्ष अदालत ने विशेष न्यायाधीश एस के यादव से कहा कि वे अदालत की कार्यवाही को कानून के अनुसार नियंत्रित करें ताकि इसकी सुनवाई निर्धारित समय के भीतर पूरी की जा सके।

न्यायमूति आर एफ नरिमन और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने वीडियो कांफ्रेस के माध्यम से इस मामले की सुनवाई करते हुये विशेष अदालत में चल रहे मुकदमे की कार्यवाही पूरी करने के लिये नयी समय सीमा निर्धारित की । पीठ ने विशेष न्यायाधीश से कहा कि वह साक्ष्य कलमबंद करने और मुकदमे की सुनवाई के दौरान दायर आवेदनों पर सुनवाई पूरी करने के लिये वीडियो कांफ्रेन्स सुविधा का उपयोग करें।

पीठ ने इस मुकदमे की सुनवाई का काम पूरा करने के लिये समय सीमा में विस्तार के बारे में विशेष न्यायाधीश यादव से मिले पत्र पर यह आदेश दिया।

पीठ ने कहा, ‘‘छह मई, 2020 के पत्र को ध्यान में रखते हुये हम साक्ष्य पूरे करने और फैसला सुनाने की अवधि 31 अगस्त, 2020 तक बढ़ाते हैं। हम इस तथ्य के प्रति सजग हैं कि श्री यादव इस मुकदमे को अंतिम निष्कर्ष तक पहुंचाने के लिये सभी प्रयास कर रहे हैं। हालांकि, मूल समय सीमा और अब विस्तारित समय सीमा के मद्देनजर 31 अगस्तख् 2020 तक कार्यवाही पूरी करके फैसला सुनाने के प्रयास होने चाहिए।’’

पीठ ने पिछले साल नौ जुलाई को विशेष न्यायालय से कहा था कि वह नौ महीने के भीतर मुकदमे की कार्यवाही पूरी करके अप्रैल के अंत तक अपना फैसला सुनायें।

पीठ ने शुक्रवार को अपने आदेश में कहा कि नौ महीने बीत जाने के बाद श्री यादव के छह मई, 2020 के पत्र के अवलोकन से पता चलता है कि अभी साक्ष्य दर्ज करने का काम भी पूरा नहीं हुआ है। हम कहना चाहतें है कि वीडियो कांफ्रेन्सिग सुविधा उपलब्ध है और यादव को सारे साक्ष्य दर्ज करने तथा इस सबंध में दायर आवेदनों पर सुनवाई पूरी करने के लिये इसका इस्तेमाल करना चाहिए।

शीर्ष अदालत ने नौ जुलाई के अपने आदेश में विशेष न्यायाधीश यादव का कार्यकाल भी इस मुकदमे की सुनवाई पूरी होने तक की अवधि के लिये बढ़ा दिया था।

इस मामले में आडवाणी, जोशी और उमा भारती के साथ ही राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह, पूर्व सांसद विनय कटियर और साध्वी ऋतंबरा के खिलाफ विवादित ढांचा गिराने की साजिश में शामिल होने का आरोप उच्चतम न्यायालय ने 19 अप्रैल, 2017 के आदेश में बहाल कर दिया था।

इस मामले के आरोपियों में से विहिप नेता अशोक सिंघल, विष्णु हरि डालमिया की मुकदमे की सुनवाई के दौरान मृत्यु हो जाने की वजह से उनके खिलाफ कार्यवाही खत्म कर दी गयी।

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