न्यायालय ने आपराधिक मामले में मोहम्मद अब्दुल्ला आजम खान को अंतरिम राहत देने से इनकार किया
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नयी दिल्ली, 11 अक्टूबर:  उच्चतम न्यायालय ने समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता आजम खान के बेटे मोहम्मद अब्दुल्ला आजम खान को एक आपराधिक मामले में बुधवार को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया. अब्दुल्ला ने अनुरोध किया था कि उत्तर प्रदेश की निचली अदालत को उनके खिलाफ लंबित आपराधिक मामले में अंतिम आदेश पारित नहीं करने का निर्देश दिया जाए जब तक कि उनके किशोर होने का दावा सुनिश्चित नहीं हो जाता. शीर्ष अदालत ने 26 सितंबर को मुरादाबाद जिला न्यायाधीश को किशोर न्याय अधिनियम के तहत प्रक्रिया के अनुसार घटना के समय अब्दुल्ला आजम खान की किशोरावस्था के पहलू पर फैसला करने और निष्कर्ष को आगे के विचार के लिए भेजने का निर्देश दिया था.

इस आदेश का हवाला देते हुए अब्दुल्ला आजम खान की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने बुधवार को न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ से कहा कि जब तक किशोरावस्था के संबंध में रिपोर्ट दाखिल नहीं हो जाती, तब तक निचली अदालत को आपराधिक मामला और आरोपी को दोषी ठहराने के संबंध में लंबित मामले पर आगे नहीं बढ़ने के लिए निर्देश दिया जाना चाहिए. वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, ‘‘अगर निचली अदालत अंतिम आदेश पारित नहीं करती है तो आसमान नहीं गिरने वाला है…कभी-कभी कानून न्याय के रास्ते में खड़ा होता है। यह उस तरह का मामला है.’’

हालांकि, अदालत ने राहत देने के प्रति अनिच्छा जाहिर करते हुए कहा, ‘‘हमें इस चरण में अंतरिम आदेश देने का कोई कारण नहीं मिलता है। पहले के आदेश के अनुसार, किशोरावास्था के संबंध में रिपोर्ट दाखिल होने के बाद मुख्य मामला सूचीबद्ध होगा.’’इससे पहले, शीर्ष अदालत ने मुरादाबाद जिला अदालत से अब्दुल्ला आजम खान के घटना के समय किशोर होने के दावे का पता लगाने और उसे रिपोर्ट भेजने को कहा था। यह आदेश 2008 के एक आपराधिक मामले में पारित किया गया था जिसमें अब्दुल्ला आजम खान को दोषी ठहराया गया था और परिणामस्वरूप विधायक के रूप में उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया था.

अब्दुल्ला आजम खान और उनके पिता आजम खान के खिलाफ 2008 में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 341 (गलत तरीके से रोकना) और 353 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला) के तहत एक आपराधिक मामला दर्ज किया गया था. आरोप था कि पुलिस द्वारा जांच के लिए आजम और अब्दुल्ला के वाहन को रोके जाने के बाद उन्होंने यातायात अवरुद्ध कर दिया था. फरवरी में, अब्दुल्ला आजम खान को इस मामले में मुरादाबाद की एक अदालत ने दो साल की जेल की सजा सुनाई थी, जिसके कारण उन्हें उत्तर प्रदेश विधानसभा में विधायक के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था.

एक मई को, शीर्ष अदालत ने अब्दुल्ला आजम खान की याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा था, जिसमें 15 साल पुराने आपराधिक मामले में उनकी सजा पर रोक लगाने से इनकार करने वाले उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी गई थी. शीर्ष अदालत ने तब स्पष्ट किया था कि अब्दुल्ला आजम खान को अयोग्य करार दिए जाने के बाद खाली हुई स्वार विधानसभा सीट पर 10 मई को होने वाला चुनाव उनकी याचिका के नतीजे के अधीन होगा। स्वार सीट पर अपना दल के शफीक अहमद अंसारी ने जीत हासिल की थी. अब्दुल्ला आजम खान ने दावा किया है कि घटना के वक्त वह किशोर थे.

अब्दुल्ला आजम खान की अर्जी को खारिज करते हुए, उच्च न्यायालय ने कहा था, ‘‘वास्तव में, याचिकाकर्ता गैर-मौजूद तथ्यों के आधार पर अपनी दोषसिद्धि पर रोक लगाने की कोशिश कर रहा है. यह कानून का एक सुस्थापित सिद्धांत है कि दोषसिद्धि पर रोक कोई नियम नहीं है बल्कि दुर्लभ मामलों में अपवाद का सहारा लिया जाना चाहिए.’’ अदालत ने कहा था, ‘‘अयोग्यता केवल सांसदों और विधायकों तक ही सीमित नहीं है। इसके अलावा, याचिकाकर्ता के खिलाफ 46 आपराधिक मामले लंबित हैं। राजनीति में शुचिता अब समय की मांग है। जन प्रतिनिधियों को बेदाग पृष्ठभूमि वाला व्यक्ति होना चाहिए.’’

अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) ने 13 फरवरी को पिता-पुत्र को दो साल की कैद की सजा सुनाई और उन पर 3,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया. बाद में उन्हें जमानत दे दी गई। दोषसिद्धि और सजा के दो दिन बाद, अब्दुल्ला आजम खान को उत्तर प्रदेश विधानसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था.

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