नयी दिल्ली, 15 अप्रैल दिल्ली की एक अदालत ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में पिछले साल फरवरी में हुई सांप्रदायिक हिंसा के एक मामले में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र उमर खालिद को बृहस्पतिवार को जमानत दे दी।
अदालत ने कहा कि घटना के दिन वह वारदात स्थल पर मौजूद नहीं था।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने आदेश में कहा, ‘‘वादी (खालिद), घटना के दिन वारदात स्थल से संबद्ध किसी सीसीटीवी फुटेज/वायरल वीडियो में नजर नहीं आ रहा है। मौके पर मौजूद रहने के तौर पर वादी की शिनाख्त किसी सरकारी गवाह या पुलिस के गवाह के जरिये नहीं हो पाई है। ’’
अदालत ने कहा कि यहां तक कि वादी के मोबाइल फोन की ‘कॉल डिटेल रिकार्ड’ (सीडीआर) घटना के दिन वारदात स्थल पर नहीं पाई गई।
अदालत ने कहा कि वादी को महज उसके खुद के बयान के आधार पर इस विषय में संलिप्त कर दिया गया।
अदालत ने अभियोजन की यह दलील भी खारिज कर दी कि खालिद मोबाइल फोन पर सह-आरोपी ताहिर हुसैन और खालिद सैफी के निरंतर संपर्क में था।
इस मामले में प्राथमिकी कांस्टेबल संग्राम सिंह के बयान पर दर्ज की गई थी।
हालांकि, खालिद को इस मामले में जमानत मिल गई है लेकिन जेएनयू के इस पूर्व छात्र को अभी जेल में ही रहना पड़ेगा। दरअसल, खालिद कुछ अन्य मामलों में भी आरोपी है, जिनमें एक मामला गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत आपराधिक साजिश का है।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)