अदालत ने बलात्कार के आरोपी डॉक्टर को जमानत दी, आईओ को लगाई फटकार
राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने बलात्कार के आरोपी एक चिकित्सक को जमानत देते हुए कहा कि सबूत बताते हैं कि आरोपी और कथित पीड़िता के बीच ‘सहमति के आधार पर’ यौन संबंध थे।
नयी दिल्ली, 27 नवंबर: राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने बलात्कार के आरोपी एक चिकित्सक को जमानत देते हुए कहा कि सबूत बताते हैं कि आरोपी और कथित पीड़िता के बीच ‘सहमति के आधार पर’ यौन संबंध थे. अदालत ने ‘निष्पक्ष जांच’ नहीं करने के लिए जांच अधिकारी (आईओ) को फटकार लगाई और तहकीकात के तरीके की जांच एक उच्च अधिकारी से कराने का निर्देश दिया. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धीरेंद्र राणा उस चिकित्सक की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिस पर शादी के बहाने शिकायतकर्ता से बलात्कार और अप्राकृतिक यौनाचार करने का आरोप इस साल 31 मई को लगाया गया था.
इसका संज्ञान लेते हुए कि शिकायतकर्ता ने अपनी आंतरिक जांच से इनकार कर दिया, न्यायाधीश ने कहा कि बलात्कार और अप्राकृतिक यौनाचार के आरोपों के समर्थन में कोई चिकित्सा-विधिक (मेडिको-लीगल) मामला नहीं है. अदालत ने कहा कि महिला ने एक अन्य व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक धमकी, आपराधिक साजिश, गलत तरीके से रोकने और अन्य दंडात्मक प्रावधानों की शिकायत भी दर्ज कराई थी, जहां संबंधित आईओ ने मामला बंद करने संबंधी रिपोर्ट दाखिल की थी.
इस बात का भी संज्ञान लिया गया कि एक और प्राथमिकी दर्ज की गयी थी, जिसमें शिकायतकर्ता आरोपी थी. अदालत ने कहा, "यह देखना आश्चर्यजनक है कि कथित बलात्कार के बावजूद, शिकायतकर्ता ने पुलिस को सूचित करने और अपने आरोपों के समर्थन में खुद की चिकित्सीय जांच कराने के बजाय मध्यस्थता के लिए अर्जी दी." अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता ने जांच के लिए न तो अपना फोन दिया और न ही वह जांच में शामिल हुई, इतना ही नहीं उसने आईओ को अपना वर्तमान पता भी नहीं बताया था.
अदालत ने कहा कि आरोपियों की जांच पूरी हो चुकी है और बाकी जांच रिकॉर्ड पर उपलब्ध तथ्यों के आधार पर की जानी है. इसने कहा, ‘‘आरोपी किसी अन्य मामले में शामिल नहीं है और पेशे से एक चिकित्सक है. रिकॉर्ड पर रखी गई ‘चैट हिस्ट्री’ दर्शाती है कि दोनों पक्ष रिश्ते में थे और संदेशों की सामग्री का उल्लेख किए बिना, यह स्पष्ट है कि दोनों ने सहमति के आधार पर यौन संबंध जारी रखा था."
अदालत ने कहा, "इस मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, मैं आरोपी को 25,000 रुपये के निजी जमानती बॉण्ड और इतनी ही राशि के एक मुचलके करने की शर्त पर नियमित जमानत देना उचित समझता हूं." उन्होंने कहा, "यह आईओ का कर्तव्य था कि वह निष्पक्ष जांच करे, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हो सका है."
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