नयी दिल्ली, पांच फरवरी दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार के सभी अस्पतालों में तीन करोड़ नागरिकों के लिए केवल छह सीटी स्कैन मशीनें होने पर सोमवार को अप्रसन्नता जतायी। अदालत ने स्वास्थ्य क्षेत्र में बुनियादी ढांचे को बढ़ाने और रिक्तियों को भरने की आवश्यकता पर बल दिया।
उच्च न्यायालय ने कहा कि लोगों की जान इसलिए जा रही है क्योंकि सुविधाओं और कर्मचारियों की कमी के कारण सरकारी अस्पतालों में उनकी देखभाल नहीं की जा रही है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पीएस अरोड़ा की एक पीठ ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने एक स्थिति रिपोर्ट में स्वीकार किया है कि चिकित्सकों, पैरामेडिकल कर्मियों और दवाओं की कमी सहित कई कमियां हैं और उन्होंने अपने सुझाव भी दिए हैं।
कई सरकारी अस्पतालों का निरीक्षण करने वाले भारद्वाज ने दावा किया है कि जब भी उन्होंने अस्पताल के कर्मचारियों के साथ बैठकें बुलाईं, दिल्ली के स्वास्थ्य सचिव एस बी दीपक कुमार अनुपस्थित रहे।
हालांकि, अदालत में मौजूद कुमार ने आरोपों से इनकार किया और कहा कि उन्होंने सभी बैठकों में भाग लिया।
कुमार ने कहा, ‘‘मैं मंत्री के साथ विभिन्न अस्पतालों में गया हूं और जहां भी मैं नहीं जा सका, मैंने उन्हें सूचित किया और अपने ओएसडी (विशेष कर्तव्य अधिकारी) या कुछ अन्य अधिकारियों को उनके साथ भेजा। मैं हमेशा बैठकों में रहा हूं और बैठकों के विवरण में मेरी उपस्थिति दिखेगी।’’
दिल्ली सरकार द्वारा संचालित 39 अस्पताल हैं।
दिल्ली सरकार के स्थायी वकील संतोष कुमार त्रिपाठी के माध्यम से दायर स्थिति रिपोर्ट में भारद्वाज ने कहा कि मौजूदा अस्पतालों में चिकित्सकों की कुल स्वीकृत संख्या के 33 प्रतिशत से अधिक रिक्तियां हैं, (कुछ विशिष्टताओं में स्वीकृत पद में से 75 प्रतिशत खाली हैं) और पैरामेडिकल कर्मियों की कुल स्वीकृत शक्ति का 20 प्रतिशत से अधिक पद खाली हैं, जिससे मौजूदा बुनियादी ढांचे का कम उपयोग हो रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मंत्री ने 2 जनवरी को दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना को पत्र लिखकर उनसे संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) से अनुरोध करने और सेवा विभाग को चिकित्सकों एवं पैरामेडिकल कर्मियों के चयन और नियुक्ति में तेजी लाने का निर्देश देने का आग्रह किया।
अदालत सरकारी अस्पतालों में आईसीयू बिस्तर और वेंटिलेटर सुविधा की अनुपलब्धता के मुद्दे पर 2017 में स्वत: संज्ञान लेकर शुरू की गई एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
पीठ ने कहा कि वह कमियों को देखने और विभिन्न अधिकारियों के सुझावों पर विचार करने और अदालत को एक रिपोर्ट देने के लिए एक समिति गठित करने का इरादा रखती है। पीठ ने मामले में शामिल विभिन्न विभागों से अपनी रिपोर्ट और सुझाव 9 फरवरी तक देने को कहा।
अदालत ने स्वास्थ्य सचिव को बड़ी संख्या में रिक्तियों के मुद्दे पर गौर करने को भी कहा।
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