Karnataka High Court: अदालत ने पीड़िता और आरोपी के विवाह के लिए सहमत होने पर बलात्कार का मामला खारिज किया

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने पीड़िता द्वारा शादी की मंशा जताने के बाद आरोपी के खिलाफ दुष्कर्म और बाल यौन अपराध संरक्षण कानून (पॉक्सो) के तहत दर्ज मामले को खारिज कर दिया। अपराध के समय नाबालिग रही पीड़िता अब बालिग हो चुकी है। अदालत ने आदेश दिया कि यह शादी एक महीने के अंदर हो जाए।

Karnataka High Court (Photo Credit: Wikimedia Commons)

बेंगलुरु, 21 नवंबर: कर्नाटक उच्च न्यायालय ने पीड़िता द्वारा शादी की मंशा जताने के बाद आरोपी के खिलाफ दुष्कर्म और बाल यौन अपराध संरक्षण कानून (पॉक्सो) के तहत दर्ज मामले को खारिज कर दिया. अपराध के समय नाबालिग रही पीड़िता अब बालिग हो चुकी है। अदालत ने आदेश दिया कि यह शादी एक महीने के अंदर हो जाए. अदालत ने आरोपी को न्यायिक हिरासत से रिहा किये जाने का भी आदेश दिया.

पीड़िता एवं उसके पिता न्यायमूर्ति हेमंत चंदनगौडार की अदालत में पेश हुए और उन्होंने यह कहते हुए एक हलफनामा दाखिल किया कि उन्हें (आरोपी के खिलाफ) कार्यवाही खारिज किये जाने पर कोई एतराज नहीं है. हलफनामे में कहा गया है कि पीड़िता उम्र के लिहाज से अब बालिग है. उसके हवाले से हलफनामे में कहा गया है, ‘‘ मैं याचिकाकर्ता के साथ प्रेमसंबंधों में हूं और मैं उससे शादी करना और उसके साथ खुशहाल शादीशुदा जीवन जीना चाहती हूं. वह भी इस बात पर राजी है.’’ यह भी पढ़े: कर्नाटक उच्च न्यायालय ने गर्भवती को गृह नगर में न्यायाधीश परीक्षा देने अनुमति दी

उसमें उसके हवाले से कहा गया है, ‘‘ इस हलफनामे के माध्यम से मैं याचिकाकर्ता के साथ शादी करने की अपनी इच्छा प्रकट करती हूं और मुझे इस उपरोक्त याचिका को, माननीय अदालत द्वारा याचिकाकर्ता के विरूद्ध कार्यवाही को खारिज करने के लिए अपने अधिकार का इस्तेमाल करने पर कोई आपत्ति नहीं है.’’ आरोपी को भी उच्च न्यायालय में पेश किया गया। उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा, ‘‘ याचिकाकर्ता ने कहा कि वह पीड़िता के साथ शादी करने को इच्छुक है तथा उनके बीच जो यौन संबंध बना था, उसमें दोनों की सहमति थी, क्योंकि दोनों के बीच प्रेम संबंध था.’’

उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि पीड़िता मामले में जिरह के समय अपने बयान से पलट गयी और ‘अभियोजन पक्ष अभियोजन के सिलसिले में पीड़िता से कुछ जुटा नहीं पाया. अदालत ने कहा कि ऐसे यदि सुनवाई जारी रहती है तो यह कानून का दुरूपयोग होगा.

अदालत द्वारा आरोपी के खिलाफ सुनवाई इस शर्त पर खारिज की गयी कि वह एक महीने के अंदर उसके साथ शादी करेगा.

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