नयी दिल्ली,चार अक्टूबर उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें 12 सितंबर 2021 को आयोजित स्नातक स्तरीय राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट यूजी) को रद्द करने का अनुरोध किया गया था।
याचिका में कहा गया था कि परीक्षा निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से नहीं कराई गयी थी।
उच्चतम न्यायालय ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि लाखों छात्रों की कीमत पर परीक्षा रद्द नहीं की जा सकती।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता चाहता है कि नीट-यूजी परीक्षा को रद्द कर दिया जाए और राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी को नयी परीक्षा आयोजित करने के निर्देश दिए जाएं।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि इसका आधार यह है कि केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने तीन प्राथमिकियां दाखिल की हैं और कहा है कि छात्रों के स्थान पर अन्य लोगों ने परीक्षा दी थी।
पीठ ने कहा,‘‘ अनुच्छेद 32 के तहत किस प्रकार की याचिकाएं दाखिल की जाती है? लाखों लोगों ने परीक्षाएं दी हैं। जब लोग आपके पास (अधिवक्ता) आते हैं तब आप उन्हें नहीं बताते ये खारिज कर दी जाएंगी और जुर्माना भी लगेगा? अब आप पूरी परीक्षा रद्द कराना चाहते हैं? आप बहस कीजिए, हम इसे विस्तार से देखेंगे और हम विशेष तौर पर आपको भी देखेंगे।’’
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता निनाद डोगरा ने कहा कि सीबीआई ने तीन प्राथमिकियां दर्ज की है और परीक्षा पत्र व्हाट्स ऐप पर लीक हो गया था।
न्यायालय याचिकाकर्ता सलोनी की याचिका पर सुनवाई कर रहा था,जिसमें नीट यूजी परीक्षा रद्द करने का अनुरोध किया गया था।
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