नयी दिल्ली, 30 अप्रैल उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को यह सुनिश्चित करने निर्देश दिया कि एक मार्च और 31 मई के बीच कर्ज पुनर्भुगतान पर तीन महीने की राहत वाले परिपत्र को वह अक्षरश: लागू करे क्योंकि ऐसा प्रतीत होता है कि बैंक कर्ज लेने वालों को इसका फायदा नहीं दे रहे।
न्यायालय ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि ऐसा लगता है कि आरबीआई द्वारा दिए गए फायदे कर्ज लेने वालों तक नहीं पहुंचे हैं ।
एक अर्जी दी गयी थी कि चूंकि 27 मार्च के परिपत्र को अक्षरश: लागू नहीं किया गया है इसलिए इसे निरस्त करना चाहिए ।
हालांकि, न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता प्रभावित पक्ष नहीं हैं, इसलिए वह परिपत्र को लेकर दखल नहीं दे रही है।
पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आरबीआई के परिपत्र के संबंध में चार याचिकाओं पर सुनवाई की ।
कमल कुमार कालिया द्वारा दाखिल एक याचिका पर अपने आदेश में पीठ ने कहा, ‘‘हम भारतीय रिजर्व बैंक को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देते हैं कि वह 27 मार्च 2020 की तारीख वाले परिपत्र को अक्षरश: लागू करे। ’’
सुनवाई के दौरान पीठ ने याचिकाकर्ताओं के वकील साजू जैकब से पूछा कि याचिकाकर्ता ने कितना कर्ज लिया है क्योंकि कोई भी प्रभावित व्यक्ति आगे नहीं आया है ।
वकील ने जवाब दिया कि वह किसी भी कर्ज लेन-देन में शामिल नहीं हैं और केवल याचिकाकर्ता हैं ।
पीठ ने कहा कि एक प्रभावित पक्ष होना चाहिए क्योंकि यह नीतिगत फैसला है, और उनके लिए है जिन्होंने कर्ज लिया है ।
पीठ ने कहा कि कुछ दिशा-निर्देश होना चाहिए कि बैंक कर्ज लेने वालों तक फायदा पहुंचे।
पीठ ने 27 मार्च के परिपत्र के संबंध में तीन अन्य याचिकाओं पर सुनवाई से इसलिए इंकार कर दिया कि किसी भी याचिकाकर्ता ने कर्ज नहीं लिए हैं और ना ही प्रभावित पक्ष हैं ।
आरबीआई ने राष्ट्रीय लॉकडाउन के कारण पड़े वित्तीय असर को देखते हुए 27 मार्च को कुछ निर्देश जारी किए थे । एक परिपत्र जारी कर सभी बैंकों और वित्तीय संस्थानों को कर्ज लेने वालों के आग्रह पर एक मार्च से सभी बकाया कर्ज के संबंध में किस्त भुगतान पर तीन महीने की राहत की अनुमति दी गयी थी ।
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