नयी दिल्ली, 18 नवंबर उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के सचिव को सोमवार को निर्देश दिया कि वह 1995 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में मौत की सजा पाने वाले बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका को राष्ट्रपति के समक्ष विचारार्थ रखें।
न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति पी के मिश्रा और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने राष्ट्रपति से दो सप्ताह के भीतर याचिका पर विचार करने का अनुरोध किया।
पीठ ने कहा, ‘‘मामले की सुनवाई के लिए विशेष रूप से आज का दिन तय किए जाने के बावजूद भारत संघ की ओर से कोई भी उपस्थित नहीं हुआ। पीठ केवल इसी मामले की सुनवाई के लिए बैठी थी।’’
पीठ ने कहा, ‘‘सुनवाई की इससे पहले की तारीख में मामले को स्थगित कर दिया गया था ताकि केंद्र सरकार राष्ट्रपति कार्यालय से यह निर्देश ले सके कि दया याचिका पर कब तक निर्णय लिया जाएगा। इस बात को ध्यान में रखते हुए कि याचिकाकर्ता मृत्युदंड का सामना कर रहा है, हम भारत के राष्ट्रपति के सचिव को निर्देश देते हैं कि वह मामले को राष्ट्रपति के समक्ष रखें और उनसे अनुरोध करें कि वह आज से दो सप्ताह के भीतर इस पर विचार करें।’’
उसने कहा कि मामले में आगे की सुनवाई पांच दिसंबर को होगी।
शीर्ष अदालत ने 25 सितंबर को राजोआना की याचिका पर केंद्र, पंजाब सरकार और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासन से जवाब मांगा था।
राजोआना को 31 अगस्त, 1995 को चंडीगढ़ में पंजाब सिविल सचिवालय के बाहर हुए विस्फोट मामले में दोषी पाया गया था। इस घटना में तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह तथा 16 अन्य लोग मारे गए थे।
एक विशेष अदालत ने राजोआना को जुलाई, 2007 में मौत की सजा सुनाई थी।
राजोआना ने अपनी याचिका में कहा है कि मार्च 2012 में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने उसकी ओर से क्षमादान का अनुरोध करते हुए संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत एक दया याचिका दायर की थी।
उच्चतम न्यायालय ने पिछले वर्ष तीन मई को राजोआना को सुनाई गई मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने से इनकार कर दिया था।
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