देश की खबरें | अदालत ने ‘ऑल्ट न्यूज’ के मोहम्मद जुबैर की संशोधन की अर्जी मंजूर की

प्रयागराज, 28 नवंबर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ‘ऑल्ट न्यूज’ के सह संस्थापक मोहम्मद जुबैर की रिट याचिका में संशोधन के लिए दाखिल अर्जी मंजूर कर ली है। जुबैर ने आठ अक्टूबर को अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को चुनौती देते हुए यह याचिका दायर की है।

याचिका में संशोधन की यह अर्जी, गाजियाबाद पुलिस द्वारा प्राथमिकी में नए आरोप शामिल किए जाने के बाद दाखिल की गई है। गाजियाबाद पुलिस ने प्राथमिकी में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 152 (भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरा पहुंचाने वाले कार्य) जोड़ी गई है।

संशोधन की अनुमति का आदेश न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की पीठ द्वारा पारित किया गया है। अदालत ने इस मामले में सुनवाई की अगली तिथि तीन दिसंबर 2024 तय की है।

पिछले महीने दर्ज प्राथमिकी में विवादास्पद पुजारी यति नरसिंहानंद के एक सहयोगी द्वारा की गई शिकायत में मोहम्मद जुबैर पर धार्मिक समूहों के बीच वैमनस्यता बढ़ाने के साथ ही अन्य आरोप लगाए गए हैं।

यति नरसिंहानंद सरस्वती ट्रस्ट की महासचिव उदिता त्यागी द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत में आरोप लगाया गया है कि जुबैर ने तीन अक्टूबर 2024 को मुस्लिमों के बीच नरसिंहानंद के खिलाफ हिंसा भड़काने के इरादे से नरसिंहानंद के एक पुराने कार्यक्रम की वीडियो क्लिप पोस्ट की।

इससे पूर्व 25 नवंबर को सुनवाई के दौरान, उच्च न्यायालय ने जांच अधिकारी को अगली तारीख तक जुबैर के खिलाफ लगाई गई धाराओं को स्पष्ट करते हुए एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था।

मंगलवार को जवाब दाखिल करते हुए जांच अधिकारी ने बताया कि प्राथमिकी में दो नई धाराएं- बीएनएस की धारा 152 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 जोड़ी गई हैं।

शुरुआत में जुबैर पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 196 (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य बढ़ाना), 228 (झूठे साक्ष्य तैयार करना), 299 (धार्मिक भावनाएं भड़काने के इरादे से दुर्भावनापूर्ण कार्य) और 351 (2) (आपराधिक धमकी के लिए दंड) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

जुबैर ने रिट याचिका में अदालत से प्राथमिकी रद्द करने और दंडात्मक कार्रवाई से सुरक्षा दिए जाने का अनुरोध किया है। अपनी याचिका में जुबैर ने कहा कि उनके द्वारा ‘एक्स’ पर की गई पोस्ट नरसिंहानंद के खिलाफ हिंसा की वकालत नहीं करती, बल्कि इसने नरसिंहानंद के कार्यों के बारे में पुलिस अधिकारियों को महज सचेत किया।

उन्होंने बीएनएस के तहत मानहानि के प्रावधान को भी इस आधार पर चुनौती दी है कि नरसिंहानंद के पहले से सार्वजनिक वीडियो को साझा करने पर उनके (जुबैर के) खिलाफ कार्रवाई की मांग करना मानहानि के तहत नहीं आता है।

याचिका में यह भी कहा गया है कि पैगंबर के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी उस समय की गई जब यति नरसिंहानंद घृणास्पद भाषण के एक दूसरे मामले में जमानत पर बाहर थे जिसमें जमानत की शर्त थी कि वह ऐसा कोई बयान नहीं देंगे जिससे सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ता हो।

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