जरुरी जानकारी | देश का आर्थिक प्रदर्शन संतोषजनक, मांग की स्थिति पर नजर रखने की जरूरत: वित्त मंत्रालय रिपोर्ट

नयी दिल्ली, 28 अक्टूबर चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन संतोषजनक रहा है, लेकिन आगे मांग की स्थिति को लेकर चिंताएं बनी हुई हैं। वित्त मंत्रालय की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है।

इसमें कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था का परिदृश्य अच्छा है। इसका कारण रुपये समेत बाह्य मोर्चे पर स्थिरता, सकारात्मक कृषि परिदृश्य, त्योहारों में मांग में सुधार और सरकारी खर्च में वृद्धि की संभावना है। कुल मिलाकर उम्मीद है कि इससे निवेश गतिविधियों में तेजी आएगी।

आर्थिक मामलों के विभाग द्वारा सोमवार को जारी मासिक आर्थिक समीक्षा के सितंबर संस्करण में हालांकि कहा गया है कि अर्थव्यवस्था में मांग की स्थिति पर नजर रखने की जरूरत है।

उपभोक्ता धारणा में नरमी, सामान्य से अधिक बारिश के कारण सीमित ग्राहक संख्या और विभिन्न मौसमी अवधियों में लोगों के नई खरीदारी से बचने को देखते हुए ऐसा जान पड़ता है कि शहरी मांग में नरमी है।

इसके अलावा, वैश्विक स्तर पर बढ़ते संघर्षों, आर्थिक स्तर पर बढ़ता बिखराव और कुछ विकसित अर्थव्यवस्थाओं में वित्तीय बाजारों में ऊंचे मूल्यांकन से वृद्धि के लिए जोखिम उत्पन्न हुए हैं।

इसमें कहा गया है कि भारत पर उनके प्रभाव से संपत्ति, घरेलू धारणाओं पर असर पड़ सकता है और टिकाऊ वस्तुओं पर खर्च को लेकर योजनाओं में बदलाव आ सकता है।

महंगाई दर में दो महीने की नरमी के बाद सितंबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति बढ़ी। इसका कारण अनियमित मानसून के चलते मुख्य रूप से कुछ सब्जियों की आपूर्ति पर असर पड़ना था।

रिपोर्ट के अनुसार, कुछ सब्जियों की कीमतों में तेज वृद्धि को छोड़ दिया जाए तो महंगाई काफी हद तक काबू में नजर आ रही है।

इसमें कहा गया है कि मध्यम अवधि में जलाशयों में जलस्तर का बेहतर होना, खरीफ फसलों की अच्छी बुवाई से कृषि उत्पादन बेहतर रहने की संभावना बनी है। इसके साथ पर्याप्त खाद्यान्न भंडार कीमतों को काबू में रखने में मददगार होगा।

वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, देश में प्रत्यक्ष रूप से और पोर्टफोलियो निवेशकों के बीच भारत के प्रति धारणा सकारात्मक है। इन सकारात्मक भावनाओं को वास्तविक प्रत्यक्ष और पोर्टफोलियो निवेश में बदलने के लिए आर्थिक वृद्धि की गति को बनाये रखना आवश्यक है।

हालांकि, विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में लगातार बिकवाल बने हुए हैं। उन्होंने इस महीने शेयरों से 85,790 करोड़ रुपये (लगभग 10.2 अरब डॉलर) की भारी निकासी की है। इसका कारण चीन में प्रोत्साहन उपाय, आकर्षक शेयर मूल्यांकन और घरेलू शेयर बाजार में शेयरों का मूल्यांकन अधिक होना है।

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने अक्टूबर में अबतक की सर्वाधिक निकासी की है। इससे पहले, मार्च, 2020 में एफपीआई ने 61,973 करोड़ रुपये शेयर बाजार से निकाले थे।

रिपोर्ट में कहा गया है कि बाह्य क्षेत्र लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। बढ़ते पूंजी प्रवाह, स्थिर रुपये और संतोषजनक विदेशी मुद्रा भंडार से यह पता चलता है। इस साल सितंबर में विदेशी मुद्रा भंडार 700 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर गया। इसके साथ भारत 700 अरब डॉलर से अधिक भंडार वाले शीर्ष चार देशों में से एक बन गया।

रिपोर्ट में नौकरी बाजार के संबंध में कहा गया है कि विनिर्माण क्षेत्र में नौकरियों में वृद्धि जारी है। यह 2022-23 के लिए उद्योगों के वार्षिक सर्वेक्षण से पता चलता है।

इसमें कहा गया है, ‘‘कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के तहत शुद्ध रूप से नये लोगों के जुड़ने, क्रय प्रबंधकों के रोजगार उप-सूचकांक और नौकरीजॉब स्पीक इंडेक्स, संगठित क्षेत्र में रोजगार सृजन का संकेत देते हैं। हालांकि, कुछ रिपोर्ट में कृत्रिम मेधा के उपयोग से कर्मचारियों के नौकरी जाने की बात आई है। ऐसे में इस पर नजर रखने की जरूरत है।’’

इसमें कहा गया है कि जोखिम वैश्विक स्तर पर जारी संघर्ष, आर्थिक स्तर पर बढ़ता बिखराव, प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की व्यापार नीतियों के बारे में अनिश्चितता और उसके परिणामस्वरूप वित्तीय बाजार में उतार-चढ़ाव को लेकर है।

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