UP MLC Elections 2022: सपा-बीजेपी में फिर आज टक्कर, विधान परिषद चुनाव की मतगणना शुरू
उत्तर प्रदेश विधान परिषद की स्थानीय प्राधिकारी क्षेत्र की 27 सीटों के द्विवार्षिक चुनाव की मतगणना मंगलवार सुबह आठ बजे शुरू हो गई. विधान परिषद की 36 सीटों के लिए हो रहे चुनाव में नौ सीटों पर विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) पहले ही निर्विरोध चुने जा चुके हैं.
लखनऊ, 12 अप्रैल : उत्तर प्रदेश विधान परिषद की स्थानीय प्राधिकारी क्षेत्र की 27 सीटों के द्विवार्षिक चुनाव की मतगणना मंगलवार सुबह आठ बजे शुरू हो गई. विधान परिषद की 36 सीटों के लिए हो रहे चुनाव में नौ सीटों पर विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) पहले ही निर्विरोध चुने जा चुके हैं. बाकी 27 सीटों के लिए पिछले शनिवार को मतदान हुआ था, जिसमें करीब 98.11 प्रतिशत वोट पड़े थे. निर्वाचन आयोग के आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि 27 सीटों के लिए मतगणना सुबह आठ बजे शुरू हुई. विधान परिषद चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) के बीच सीधा मुकाबला है, क्योंकि कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है. हालांकि, कुछ निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में हैं.
उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय के अनुसार, चुनाव मैदान में 95 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं. भाजपा, विधानसभा के बाद विधान परिषद में भी बहुमत हासिल करने की उम्मीद कर रही है. वर्तमान में 100 सदस्यीय सदन में भाजपा के 34 सदस्य हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले शनिवार को गोरखपुर में मतदान के बाद संवाददाताओं से कहा था, "हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 2017 की तरह दो-तिहाई से अधिक सीटें जीतीं और एक मजबूत सरकार बनाई. चार दशकों के बाद ऐसी स्थिति आ गई है, जब सत्ताधारी दल विधान परिषद में भी भारी जनादेश प्राप्त करने में सफल होगा. " उन्होंने कहा था, " मुझे उम्मीद है कि इस चुनाव में हमें विधान परिषद में भारी जनादेश मिलेगा और कल्याणकारी कार्यक्रम गति से आगे बढ़ेंगे."
चुनाव कार्यालय के मुताबिक, जिन स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्रों के लिए मतों की गिनती हो रही है, उनमें मुरादाबाद-बिजनौर, रामपुर-बरेली, पीलीभीत-शाहजहांपुर, सीतापुर, लखनऊ-उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, बाराबंकी, बहराइच, गोंडा, फैजाबाद, बस्ती-सिद्धार्थनगर, गोरखपुर-महाराजगंज, देवरिया, आजमगढ़-मऊ, बलिया, गाजीपुर, जौनपुर, वाराणसी, इलाहाबाद, झांसी-जालौन-ललितपुर, कानपुर-फतेहपुर, इटावा-फरुखाबाद, आगरा-फिरोजाबाद, मेरठ-गाजियाबाद और मुजफ्फरनगर-सहारनपुर शामिल हैं. स्थानीय प्राधिकरण निर्वाचन क्षेत्र के विधान परिषद चुनाव में ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सदस्य, खंड विकास परिषदों के अध्यक्ष एवं सदस्य, जिला पंचायत अध्यक्ष और नगरीय निकायों के पार्षद मतदाता होते हैं. इसके अलावा विधायक और सांसद भी इस चुनाव में वोट डालते हैं. राज्य की 100 सदस्यीय विधान परिषद में इस समय भाजपा के 34, जबकि सपा के 17, बसपा के चार और कांग्रेस, अपना दल व निषाद पार्टी के एक-एक सदस्य हैं. वहीं, शिक्षक दल के दो, जबकि निर्दल समूह का एक और एक निर्दलीय सदस्य भी विधान परिषद में मौजूद है. यह भी पढ़ें : हिमाचल प्रदेश में आम आदमी पार्टी को एक के बाद एक बड़ा झटका, भाजपा में शामिल कई नेता
राज्य विधान परिषद की 36 सीटें सात मार्च को संबंधित सदस्यों का कार्यकाल समाप्त होने के कारण रिक्त हो गई थीं. वहीं, सदन की 37वीं सीट नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन के निधन की वजह से खाली हुई है. भाजपा द्वारा मैदान में उतारे गए 36 उम्मीदवारों में से पांच समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता हैं, जो फरवरी-मार्च में हुए विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुए थे. इनमें सुल्तानपुर स्थानीय प्राधिकरण निर्वाचन क्षेत्र से शैलेंद्र प्रताप सिंह, गोरखपुर-महाराजगंज से सीपी चंद, बलिया से रविशंकर सिंह 'पप्पू', झांसी-जालौन-ललितपुर से राम निरंजन और बुलंदशहर से नरेंद्र भाटी शामिल हैं. रविशंकर सिंह ‘पप्पू’ पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के पोते हैं. सपा ने मेरठ-गाजियाबाद और बुलंदशहर सीट अपनी सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल के लिए छोड़ी है. समाजवादी पार्टी ने बाकी सभी 34 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं.