जरुरी जानकारी | ढांचागत क्षेत्र की 412 परियोजनाओं की लागत 4.11 लाख करोड़ रुपये बढ़ी: रिपोर्ट

नयी दिल्ली, 23 अगस्त देश में 412 ढांचागत परियोजनाओं के क्रियान्वयन में देरी और अन्य कारणों से लागत में 4.11 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है। ये परियोजनाएं 150 करोड़ रुपये या उससे अधिक लागत वाली हैं।

सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने एक रिपोर्ट में यह कहा है। मंत्रालय 150 करोड़ रुपये या उससे अधिक की परियोजनाओं पर नजर रखता है।

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कुल 1,683 परियोजनाओं में से 412 की लागत और 471 के क्रियान्वयन के समय में बढ़ोतरी हुई है।

मंत्रालय की जून 2020 की रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘कुल 1,683 परियोजनाओं की मूल लागत 20,65,336.20 करोड़ रुपये थी जो बढ़कर 24,77,167.67 करोड़ रुपये हो गयी है। यह बताता है कि लागत में 4,11,831.47 करोड़ रुपये यानी 19.94 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

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इन परियोजनाओं पर कुल व्यय जून 2020 तक 11,21,435.29 करोड़ रुपये हुए थे जो अनुमानित लागत का 45.27 प्रतिशत है।

रिपोर्ट में 979 परियोजनाओं के न तो चालू होने के वर्ष और न ही उसके क्रियान्वित होने की अवधि के बारे में कोई जानकारी दी गयी है।

इसके अनुसार जिन 471 परियोजनाओं में देरी हुई है, उनमें 127 में एक से 12 महीने, 112 में 13 महीने से 24 महीने, 127 परियोजनाओं में 25 से 60 महीने और 105 परियोजनाओं में 61 महीने या उससे अधिक की देरी हुई है।

इन परियोजनाओं में औसत देरी 43.34 महीने है।

परियोजनाओं को क्रियान्वित करने वाली एजेंसियों के अनुसार इनमें देरी का कारण जमीन अधिग्रहण में विलम्ब, वन/पर्यावरण मंजूरी मिलने में देरी और संबंधित ढांचागत और अन्य सुविधाओं का अभाव है।

इसके अलावा परियोजना के वित्त पोषण के लिये समझौते में विलम्ब, विस्तृत इंजीनियरिंग के अंतिम रूप देने में देरी, निवदा जारी होने और उपकरणों की आपूर्ति में विलम्ब, कानून व्यवस्था की समस्या, अचानक से उत्पन्न भौगोलिक समस्याएं समेत अन्य कारणों से इसके क्रियान्वयन में देरी हुई है।

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