नयी दिल्ली, सात जुलाई चीनी सेना ने पूर्वी लद्दाख में हॉट स्प्रिंग्स और गोग्रा में झड़प वाले क्षेत्रों से अस्थायी ढांचों को हटा दिया है और मंगलवार को लगातार दूसरे दिन सैनिकों की वापसी का सिलसिला जारी रहा। वहीं भारत ने पर्वतीय क्षेत्रों में रात के समय भी हवाई गश्त जारी रखी है और भारतीय सेना उनकी पीछे हटने की गतिविधि पर कड़ी नजर रख रही है। सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी।
गोग्रा और हॉट स्प्रिंग्स टकराव वाले ऐसे बिंदु है जहां पिछले आठ सप्ताह से दोनों देशों की सेनाओं के बीच संघर्ष की स्थिति बनी हुई है।
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सूत्रों ने बताया कि इन दो क्षेत्रों से सैनिकों के पीछे हटने का काम दो दिन में पूरा होने की संभावना है और इन क्षेत्रों से ‘‘चीनी सैनिकों की पर्याप्त वापसी भी हुई है।’’
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने रविवार को टेलीफोन पर बात की थी जिसमें वे वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से सैनिकों के ‘‘तेजी से’’ पीछे हटने की प्रक्रिया को पूरा करने पर सहमत हुए थे, जिसके बाद सोमवार की सुबह सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी।
सूत्रों ने बताया कि भारतीय सेना क्षेत्र में सैनिकों की वापसी के मद्देनजर अपनी निगरानी को कम नहीं कर रही है और किसी भी घटना से निपटने के लिए उच्च स्तर की सतर्कता बनाए रखेगी।
भारतीय वायुसेना पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में अपनी उच्च स्तर की तत्परता को बनाये रखने के लिए रात के समय में हवाई गश्त कर रही है।
सूत्रों ने बताया कि क्षेत्र में टकराव वाले कुछ बिंदुओं से चीनी सैनिकों के पीछे हटने के बावजूद अपने उच्च स्तर की तैयारी बनाये रखने संबंधी फैसले के तहत भारतीय वायुसेना क्षेत्र में रात के समय गश्त कर रही है।
उन्होंने बताया कि अग्रिम पंक्ति के लड़ाकू जेट विमानों द्वारा ‘‘दिन और रात के समय चलाये जाने वाले अभियान’’ इस बात का संकेत है कि भारत तब तक चीन पर दबाव बनाना जारी रखेगा जब तक कि पैंगोंग सो, हॉट स्प्रिंग्स और गोग्रा समेत पूर्वी लद्दाख में सभी क्षेत्रों में यथास्थिति बहाल नहीं हो जाती।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘इस मोड़ पर हमारी चौकसी को कम करने का कोई सवाल ही नहीं है।’’
सूत्रों ने बताया कि दोनों सेनाओं के बीच सैनिकों की वापसी प्रक्रिया के पहले चरण के बाद इस सप्ताह के अंत में और बातचीत होने की उम्मीद है।
सैनिकों के पीछे हटने की कवायद 30 जून को सैन्य स्तर की वार्ता में हुए निर्णय के अनुरूप हो रही है जिसमें इस बात पर भी सहमति बनी थी कि दोनों पक्ष गलवान नदी के आसपास कम से कम तीन किलोमीटर के क्षेत्र में एक बफर जोन बनाएंगे और भारतीय सैनिक भी उसी के अनुसार चल रहे हैं।
एक सूत्र ने बताया, ‘‘हॉट स्प्रिंग्स और गोग्रा से चीनी सैनिकों की पर्याप्त वापसी हुई है। चीनी सेना ने क्षेत्रों में अस्थायी ढांचों को ध्वस्त कर दिया है।’’
सूत्रों ने बताया कि चीनी सेना पहले ही गलवान घाटी में गश्ती बिंदु ‘प्वाइंट 14’ से अपने तंबुओं को हटा चुकी है और उसके सैनिक पीछे चल गये हैं।
पेंगोंग सो में स्थिति के बारे में उन्होंने कहा कि इलाके में ‘‘सैनिकों की संख्या में मामूली कमी’’ देखी गई है।
भारत और चीनी सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में कई स्थानों पर पिछले आठ सप्ताह से गतिरोध की स्थिति बनी हुई है लेकिन स्थिति तब बिगड़ गई जब 15 जून को गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में भारत के 20 सैन्यकर्मी वीरगति को प्राप्त हो गए। झड़प में चीनी सेना को भी नुकसान पहुंचने की खबरें हैं लेकिन इसका विवरण अभी नहीं आया है।
एक अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के अनुसार चीनी की तरफ हताहतों की संख्या 35 है।
क्षेत्र में तनाव कम करने के लिए पिछले कुछ सप्ताह से दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर कई बार वार्ता हो चुकी है। हालांकि रविवार की शाम तक गतिरोध के अंत का कोई संकेत नहीं था।
सूत्रों ने बताया कि डोभाल-वांग बैठक में सफलता मिली।
दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच गत 30 जून को लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की तीसरे दौर की वार्ता हुई थी जिसमें दोनों पक्ष गतिरोध को समाप्त करने के लिए ‘‘प्राथमिकता’’ के रूप में तेजी से और चरणबद्ध तरीके से कदम उठाने पर सहमत हुए थे।
लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की पहले दौर की वार्ता छह जून को हुई थी जिसमें दोनों पक्षों ने गतिरोध वाले सभी स्थानों से धीरे-धीरे पीछे हटने के लिए समझौते को अंतिम रूप दिया था जिसकी शुरुआत गलवान घाटी से होनी थी। इसके बाद दोनों पक्षों के बीच 22 जून को भी बैठक हुई थी जिसमें सभी टकराव बिन्दुओं से पीछे हटने पर पारस्परिक सहमति बनी थी।
हालांकि गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद स्थिति बिगड़ गई। इस घटना के बाद दोनों देशों ने एलएसी से लगते अधिकतर क्षेत्रों में अपनी-अपनी सेनाओं की तैनाती और मजबूत कर दी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को लद्दाख का अचानक दौरा किया था। वहां उन्होंने सैनिकों का उत्साह बढ़ाते हुए कहा था कि विस्तारवाद के दिन अब लद गए हैं। उन्होंने कहा था कि इतिहास गवाह है कि ‘‘विस्तारवादी’’ ताकतें मिट गई हैं।
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