देश की खबरें | कृषि कानूनों के खिलाफ कांग्रेस की पदयात्रा, राष्ट्रपति के नाम दिया ज्ञापन
एनडीआरएफ/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

रायपुर, 29 सितंबर छत्तीसगढ़ के सत्ताधारी दल कांग्रेस ने नए कृषि कानूनों के विरोध में राजभवन तक पदयात्रा कर राज्यपाल को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा।

छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नेताओं ने मंगलवार को बताया कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों के विरोध में आज कांग्रेस कार्यालय राजीव भवन से राजभवन तक कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने पदयात्रा की। बाद में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मोहन मरकाम के नेतृत्व में राज्यपाल अनुसुईया उइके को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नाम ज्ञापन सौंपा गया। कांग्रेस ने इन कानूनों को काला कानून कहते हुए इन्हें निरस्त करने की मांग की है।

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राष्ट्रपति के नाम इस ज्ञापन में कांग्रेस ने कहा है कि मोदी सरकार ने देश के किसान, खेत और खलिहान के खिलाफ षड़यंत्र किया है। केंद्र की भाजपा सरकार तीन काले कानूनों के माध्यम से देश की ‘हरित क्रांति’ को हराने की साजिश कर रही है। देश के अन्नदाता और भाग्य-विधाता किसान तथा खेत मजदूर की मेहनत को चंद पूंजीपतियों के हाथों गिरवी रखने का षड़यंत्र किया जा रहा है।

कंग्रेस ने कहा कि आज देश भर में 62 करोड़ किसान-मजदूर व 250 से अधिक किसान संगठन इन काले कानूनों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं, पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार सब ऐतराज दरकिनार कर देश को बरगला रहे हैं। अन्नदाता किसान की बात सुनना तो दूर, संसद में उनके नुमाईंदो की आवाज को दबाया जा रहा है और सड़कों पर किसान मजदूरों को लाठियों से पिटवाया जा रहा है।

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ज्ञापन में कहा गया है कि संघीय ढांचे का उल्लंघन कर, संविधान को रौंदकर, संसदीय प्रणाली को दरकिनार कर तथा बहुमत के आधार पर मोदी सरकार ने संसद के अंदर तीन काले कानूनों को जबरन तथा बगैर किसी चर्चा और राय मशवरे के पारित करा लिया है।

ज्ञापन में कहा गया है कि अनाज मंडी-सब्जी मंडी को खत्म करने से कृषि उपज खरीद व्यवस्था पूरी तरह नष्ट हो जाएगी। ऐसे में किसानों को न तो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी)मिलेगा और न ही बाजार भाव के अनुसार फसल की कीमत।

कांग्रेस ने कहा है कि मोदी सरकार का दावा है कि अब किसान अपनी फसल देश में कहीं भी बेच सकता है, पूरी तरह से सफेद झूठ है। देश का 86 प्रतिशत किसान पांच एकड़ से कम भूमि का मालिक है। जमीन की औसत मिल्कियत दो एकड़ या उससे कम है। ऐसे में 86 प्रतिशत किसान अपनी उपज नजदीक अनाज मंडी-सब्जी मंडी के अलावा कहीं और परिवहन कर न ले जा सकता या बेच सकता है। मंडी प्रणाली नष्ट होते ही सीधा प्रहार स्वाभाविक तौर से किसान पर होगा।

ज्ञापन के अनुसार मंडियां खत्म होते ही अनाज-सब्जी मंडी में काम करने वाले लाखों-करोड़ों मजदूरों, आढ़तियों, मुनीम, ढुलाईदारों, ट्रांसपोर्टरों आदि की रोजी रोटी और आजीविका अपने आप खत्म हो जाएगी।

अनाज-सब्जी मंडी व्यवस्था खत्म होने के साथ ही प्रांतों की आय भी खत्म हो जाएगी। प्रांत बाजार शुल्क और ग्रामीण विकास कोष के माध्यम से ग्रामीण अंचल का ढांचागत विकास करते हैं तथा खेती को प्रोत्साहन देते हैं।

कृषि उत्पाद, खाने की चीजों और फल-फूल-सब्जियों की भंडारण सीमा को पूरी तरह से हटाकर आखिरकार न किसान को फायदा होगा और न ही उपभोक्ता को। बस चीजों की जमाखोरी और कालाबाजारी करने वाले मुट्ठीभर लोगें को फायदा होगा। जब भंडारण सीमा ही खत्म हो जाएगी, तब जमाखोरों और कालाबाजारों को उपभोक्ता को लूटने की पूरी आजादी होगी।

ज्ञापन में कहा गया है कि तीनों कानून संघीय ढांचे पर हमला हैं। खेती और मंडियां संविधान की सातवीं अनुसूची में राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आते हैं, लेकिन मोदी सरकार ने राज्यों से विचार-विमर्श करना तक उचित नहीं समझा। खेती का संरक्षण और प्रोत्साहन स्वाभाविक तौर से राज्यों का विषय है, लेकिन उनकी कोई राय नहीं ली गई। उल्टा खेत खलिहान और गांव की तरक्की के लिए लगाए गए बाजार शुल्क और ग्रामीण विकास कोष को एकतरफा तरीके से खत्म कर दिया गया। यह अपने आप में संविधान की परिपाटी के विरुध्द है।

कांग्रेस ने राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन में कहा है कि महामारी की आड़ में किसानों की आपदा को मुट्ठीभर पूंजीपतियों के अवसर में बदलने की मोदी सरकार की साजिश को देश का अन्नदाता किसान और मजदूर कभी नहीं भूलेगा। इसलिए आपसे विनम्र आग्रह है कि इन तीनों काले कानूनों को बगैर देरी निरस्त किया जाए।

इधर राज्य में मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कृषि कानूनों को किसानों के लिए महत्वपूर्ण बताया है।

भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष और रायपुर से सांसद सुनील सोनी ने कृषि कानूनों को किसानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि यह किसानों की आजादी का ऐतिहासिक कानून है, जिस पर कांग्रेस किसानों को गुमराह करने की नाकाम कोशिश कर रही है।

सोनी ने कहा है कि कृषि कानून पूरी तरह किसानों के हित के लिए बनाया गया है, जिसमें एमएसपी समाप्त नहीं होगा बल्कि इसका सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि किसान अपनी उपज को किसी भी राज्य में बेच सकेंगे। किसानों के उत्थान के लिए संकल्पित प्रधानमंत्री ने जो निर्णय लिया है, वह आने वाले समय में किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करेगा। किसानों की आर्थिक स्थिति और बेहतर होगी।

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