कांग्रेस ने फडणवीस सरकार द्वारा की गई राज्य सीईओ की नियुक्ति पर सवाल उठाए

कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई ने पिछली बीजेपी सरकार में बलदेव सिंह की राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के तौर पर नियुक्ति पर सवाल उठाए हैं. पार्टी का आरोप है कि केंद्रीय सतर्कता आयोग के निर्देशों पर सीप्ज विशेष आर्थिक क्षेत्र में कथित अनियमितताओं की जांच चल रही थी जब वह इसकी अगुवाई कर रहे थे. इस सबके बारे में ब्यौरे सरकार में सक्षम प्राधिकारियों को पहले ही दे दिए गए हैं.

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Photo Credits: Freepik)

मुंबई, 1 अगस्त: कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई ने पिछली बीजेपी सरकार में बलदेव सिंह की राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) के तौर पर नियुक्ति पर सवाल उठाए हैं. पार्टी का आरोप है कि केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) के निर्देशों पर सीप्ज विशेष आर्थिक क्षेत्र में कथित अनियमितताओं की जांच चल रही थी जब वह इसकी अगुवाई कर रहे थे. हालांकि, सिंह ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि जिस मामले का संदर्भ दिया जा रहा है वह उस समय का है जब उन्होंने सीप्ज (सांताक्रूज इलेक्ट्रॉनिक्स एक्सपोर्ट प्रोसेसिंग जोन) का प्रभार नहीं संभाला था.

शुक्रवार को प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए, प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत ने आरोप लगाया कि सिंह सीवीसी द्वारा शुरू की गई जांच का सामना कर रहे थे और उद्योग एवं वाणिज्य मंत्रालय सीप्ज विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) में अनियमितता के आरोपों की जांच कर रहा था.

उन्होंने कहा, "भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने संसद में रखी गयी जून 2018 की अपनी रिपोर्ट में मामले में गुण-दोष की व्याख्या की थी. वित्तीय घोटाला बिना अधिकारों के कार्यों के लिए अयोग्य एजेंसी की नियुक्ति से संबंधित है."

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उन्होंने कहा, "जांच जारी होने के बावजूद, देवेंद्र फडणवीस सरकार ने विधानसभा चुनाव से महज कुछ पहले जुलाई 2019 में सिंह को महाराष्ट्र का सीईओ नियुक्त किया था. इसने चुनाव आयोग की भूमिका को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं." सावंत ने पूछा कि सीईओ की नियुक्ति से पहले उनकी साख की जांच क्यों नहीं की गई और यह जानना चाहा कि क्या भाजपा से किसी तरह का दबाव था.

हालांकि, महाराष्ट्र के सीईओ ने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर कहा, "जिस तरह से कांग्रेस नेता तथ्यों को प्रस्तुत करने की कोशिश कर रहे हैं, यह बहुत दुखद, नुकसान पहुंचाने वाला और भ्रमित करने वाला है. ये पूरी तरह गलत आरोप हैं." ट्वीट में कहा गया, "यह नियुक्ति पूर्व विकास आयुक्त द्वारा की गई थी जो उस अवधि के दौरान सक्षम प्राधिकारी थे. सभी भुगतान पूर्ववर्ती अधिकारी द्वारा जारी किए गए थे. इस सबके बारे में ब्यौरे सरकार में सक्षम प्राधिकारियों को पहले ही दे दिए गए हैं."

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