नयी दिल्ली, छह अक्टूबर कांग्रेस ने आठ रेलवे सेवाओं का विलय कर एक नई सेवा बनाने का फैसला कथित तौर पर वापस लेने पर रविवार को केंद्र सरकार की आलोचना की और आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘‘पहले घोषणा करो, फिर सोचो’’ की मानसिकता देश की संस्थाओं के लिए खतरा बनी हुई है।
फैसला वापस लेने के कथित कदम पर सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें दावा किया गया था कि आठ सेवाओं को एक ही सिविल सेवा में विलय करने के लगभग पांच साल बाद, रेल मंत्रालय ने अब फैसला किया है कि भर्ती दो अलग-अलग परीक्षाओं - गैर-तकनीकी पदों के लिए सिविल सेवा परीक्षा (सीएसई) और तकनीकी पदों के लिए इंजीनियरिंग सेवा परीक्षा (ईएसई) - के माध्यम से की जाएंगी।
रमेश ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘असल में यह रेलवे में सुधार का नहीं बल्कि रेलवे को बिगाड़ने का मामला था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘पांच साल पहले प्रधानमंत्री की सरकार ने आठ रेलवे सेवाओं को भारतीय रेलवे प्रबंधन सेवा (आईआरएमएस) में विलय कर दिया और इंजीनियरिंग सेवा परीक्षा के माध्यम से भर्ती बंद कर दी।’’
कांग्रेस नेता ने दावा किया कि पांच अक्टूबर 2024 को सरकार ने अपना यह फैसला वापस ले लिया और अब दो अलग-अलग परीक्षाओं - एक सिविल सेवा और दूसरी इंजीनियरिंग सेवाओं के लिए - के माध्यम से भर्ती जारी रखेगी।
रमेश ने कहा, ‘‘फैसला वापस लेना इस चिंता से प्रेरित था कि सेवा में आने वाले बहुत से अधिकारी सामान्य कौशल (पृष्ठभूमि) से थे और उनमें आवश्यक तकनीकी और इंजीनियरिंग कौशल की कमी थी।’’
कांग्रेस नेता ने कहा,‘‘प्रधानमंत्री की यह ‘एफएएसटी’ मानसिकता यानी ‘पहले घोषणा करो, फिर सोचो’ - हमारे संस्थानों के लिए खतरा पैदा करती है।’’
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