देश की खबरें | सड़क दुर्घटना में मारे गए व्यक्ति के परिजनों को 87 लाख रुपये से अधिक का मुआवजा

ठाणे, 23 सितंबर महाराष्ट्र के ठाणे में मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) ने 2016 में एक सड़क दुर्घटना में मारे गए 36 वर्षीय व्यवसायी के परिवार को 87 लाख रुपये से अधिक का मुआवजा देने का आदेश दिया है।

न्यायाधिकरण का 14 सितंबर को जारी इस आदेश की प्रति बृहस्पतिवार को उपलब्ध कराई गई। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश और एमएसीटी सदस्य एमएम वलीमोहम्मद ने दुर्घटनाग्रस्त ट्रक के मालिक और बीमा कंपनी को संयुक्त रूप से मृतक व्यक्ति के परिवार को मुआवजे का भुगतान करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही न्यायाधिकरण ने दावा दायर करने की तारीख से प्रतिवर्ष 7 प्रतिशत के हिसाब से ब्याज के भुगतान का भी आदेश दिया गया है।

आदेश में कहा गया है कि यदि प्रतिवादी पक्ष दो महीने के भीतर मुआवजे का भुगतान करने में विफल रहता है, तो ब्याज राशि को बढ़ाकर 8 प्रतिशत प्रति वर्ष कर दिया जाएगा। दावेदार राजस्थान के चुरू के रहने वाले हैं, जिनमें मृतक जीवराज सिंह की पत्नी, तीन बच्चे और माता-पिता शामिल हैं।

ट्रक मालिक ट्रिब्यूनल के सामने पेश नहीं हुआ और उसके खिलाफ एकतरफा मामला तय किया गया, जबकि बीमा कंपनी का प्रतिनिधि पेश हुआ और उसने विभिन्न आधारों पर दावे का विरोध किया गया।

दावेदारों की ओर से पेश अधिवक्ता वी के सिंह ने न्यायाधिकरण को सूचित किया कि पीड़ित कपड़ा पैकेजिंग व्यवसाय से जुड़े होने के साथ साथ ब्रोकर भी था और उसकी वार्षिक आय लगभग 6.17 लाख रुपये थी।

सिंह ने कहा कि 4 फरवरी 2016 को वह व्यक्ति रजनोली गांव में मोटरसाइकिल पर जा रहा था, तभी एक ट्रक ने उसके दोपहिया वाहन को टक्कर मार दी जिससे उसकी मौत हो गई।

न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि कोंगों पुलिस स्टेशन में ट्रक चालक के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी से चालक की लापरवाही साबित होती है।

एमएसीटी ने आदेश दिया कि पीड़ित के परिजनों को 87.29 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए, जिसमें कंसोर्टियम के नुकसान के लिए 40,000 रुपये और संपत्ति के नुकसान व अंतिम संस्कार के खर्च के रूप में 15,000 रुपये की राशि शामिल है।

न्यायाधीश ने अपने आदेश में यह भी कहा कि मुआवजे की राशि मिलने के बाद मृतक के प्रत्येक बच्चे के नाम से छह-छह लाख रुपए सावधि योजना में जमा कराये जायेंगे और नौ-नौ लाख रुपए मृतक के माता पिता को दिये जायें जबकि शेष पांच लाख रुपए तीन साल की अवधि के लिये मृतक की विधवा के खाते में सावधि के लिए रखे जाएं।

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