चीन के विदेश मंत्री वांग यी यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल बगान में लंकांग-मीकांग सहयोग समूह की बैठक में म्यांमा, लाओस, थाईलैंड, कम्बोडिया और वियतनाम के अपने समकक्षों से मुलाकात करेंगे।
यह समूह चीन की अगुवाई वाली पहल है, जिसमें मीकांग डेल्टा के देश शामिल है। यह हाइड्रोइलेक्ट्रिक परियोजनाओं की बढ़ती संख्या के कारण क्षेत्रीय तनाव का एक संभावित स्रोत है। इन परियोजनाओं से नदियों के प्रवाह में बदलाव आ रहा है और पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचने की चिंताएं व्यक्त की जा रही है।
चीन ने मीकांग के ऊपरी क्षेत्र में 10 बांध बनाए हैं। इस हिस्से को वह लंकांग बुलाता है।
सैन्य सरकार के प्रवक्ता मेजर जनरल जॉ मिन तुन ने राजधानी नेपीता में शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि बैठक में विदेश मंत्रियों की उपस्थिति म्यांमा की संप्रभुत्ता और उसकी सरकार की मान्यता है।
उन्होंने कहा कि मंत्री समझौतों ज्ञापन पर हस्ताक्षर करेंगे। उन्होंने विस्तार से जानकारी नहीं दी।
अभी यह स्पष्ट नहीं है कि क्या वांग सैन्य सरकार के प्रमुख वरिष्ठ जनरल मिन आंग हेइंग से मुलाकात करेंगे।
गौरतलब है कि चीन, म्यांमा का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार और पुराना सहयोगी है। बीजिंग ने म्यांमा की खदानों, तेल और गैस पाइपलाइनों तथा अन्य बुनियादी ढांचों में अरबों रुपये का निवेश किया है और वह रूस के साथ उसका हथियारों का प्रमुख आपूर्तिकर्ता है।
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