विदेश की खबरें | चीन ने पेलोसी पर प्रतिबंध लगाया, ताइवान के पास बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास किया
श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने

चीन की आधिकारिक समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, ताइवान के तट के पास छह क्षेत्रों में चलाए जा रहे ‘संयुक्त अवरोध अभियान’ में लड़ाकू विमानों से लेकर बमवर्षक विमानों, विध्वंसक जहाजों और युद्धपोतों तक का इस्तेमाल किया गया।

चीनी सेना की पूर्वी थिएटर कमान ने कुछ मिसाइलों के नए संस्करण भी दागे। सैन्य अधिकारियों ने दावा किया कि इन मिसाइलों ने ताइवान जलडमरूमध्य क्षेत्र में अज्ञात लक्ष्यों को ‘पूरी सटीकता’ के साथ निशाना बनाया। इनमें ताइवान के ऊपर से प्रशांत क्षेत्र में दागी गई मिसाइलें भी शामिल हैं।

शिन्हुआ के अनुसार, चीन पेलोसी के ताइवान दौरे के जवाब में ‘अभूतपूर्व पैमाने’ पर सैन्य अभ्यास कर रहा है। पेलोसी पिछले 25 वर्षों में ताइवान की यात्रा करने वाली अमेरिका की सबसे शीर्ष अधिकारी हैं। चीन ताइवान को अपना क्षेत्र बताता है और विदेशी सरकारों के साथ उसके संबंधों का विरोध करता है।

चीन ने शुक्रवार को पेलोसी और उनके परिवार पर अनिर्दिष्ट प्रतिबंध लगाने की घोषणा की। ये प्रतिबंध आमतौर पर मुख्यत: प्रतीकात्मक प्रकृति के होते हैं।

चीनी विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर कहा कि पेलोसी ने स्व-शासित द्वीप की अपनी यात्रा को लेकर चीन की चिंताओं और विरोध की अवहेलना की है। बयान में पेलोसी के ताइवान दौरे को उकसावे वाली कार्रवाई करार दिया गया है। इसमें कहा गया है कि यह कदम चीन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ है।

ताइवान जलडमरूमध्य क्षेत्र के पास पिंगटन द्वीप पर शुक्रवार को पर्यटक अभ्यास क्षेत्र की तरफ जाने वाले सैन्य विमानों की एक झलक पाने की कोशिश में इकट्ठे हुए। लड़ाकू विमानों को उड़ान भरते देखा जा सकता था और उनकी तस्वीरें ले रहे पर्यटक ‘चलो, ताइवान को वापस लेते हैं’ कहते नजर आ रहे थे।

चीन का यह दावा कि ताइवान उसका क्षेत्र है और इसे बल प्रयोग के जरिये अपने नियंत्रण में लेने की उसकी धमकी पिछले सात दशक से सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रचार, शिक्षा प्रणाली और पूरी तरह से राज्य-नियंत्रित मीडिया में प्रमुखता से दर्शायी गई है। दोनों पक्ष 1949 में गृहयुद्ध के बीच विभाजित हुए थे।

हालांकि, ताइवान के निवासी स्व-शासित द्वीप की यथास्थिति बनाए रखने का जबरदस्त समर्थन करते हैं। वे ताइवान को कम्युनिस्ट शासन के तहत मुख्य भूमि चीन में शामिल करने की बीजिंग की मांग के खिलाफ हैं।

ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि शुक्रवार को चीन ने सैन्य जहाजों और लड़ाकू विमानों को ताइवान जलडमरूमध्य क्षेत्र के बीचोंबीच भेजा। इसी के साथ उसने चीन और ताइवान के बीच वर्षों से मौजूद आधिकारिक ‘बफर जोन’ को लांघ दिया।

उधर, जापान के रक्षा मंत्री नोबुओ किशी ने कहा कि बृहस्पतिवार को सैन्य अभ्यास शुरू होने के बाद चीन द्वारा दागी गई पांच मिसाइलें जापान के सुदूर दक्षिण में स्थित हेतेरुमा के पास विशेष आर्थिक जोन में गिरीं। उन्होंने बताया कि जापान ने इन मिसाइलों को ‘जापान की राष्ट्रीय सुरक्षा और जापानी नागरिकों की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा’ करार देते हुए चीन के समक्ष कड़ी आपत्ति दर्ज कराई।

जापान के रक्षा मंत्रालय ने बाद में कहा कि उसका मानना ​​है कि चीन के दक्षिण-पूर्वी तट फुजियान से दागी गई चार अन्य मिसाइलों ने ताइवान के ऊपर से उड़ान भरी थी।

जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने शुक्रवार को कहा कि ताइवान के लिए लक्षित चीन का सैन्य अभ्यास एक ‘गंभीर समस्या’ का प्रतीक है, जो क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है।

वहीं, पेलोसी ने अपने एशिया दौरे के अंतिम पड़ाव तोक्यो में कहा कि चीन अमेरिकी अधिकारियों को ताइवान जाने से नहीं रोक सकता। पेलोसी और उनके प्रतिनिधिमंडल के साथ नाश्ते के बाद संवादाताओं से मुखातिब किशिदा ने कहा कि मिसाइल प्रक्षेपणों को ‘तुरंत रोका जाना चाहिए।’

इस बीच, चीन ने कहा कि उसने सात देशों के समूह (जी-7) और यूरोपीय संघ (ईयू) द्वारा ताइवान के आसपास चीनी सैन्य अभ्यास की आलोचना करने वाले बयानों का विरोध करने के लिए बीजिंग में तैनात यूरोपीय राजनयिकों को तलब किया।

विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि उप मंत्री डेंग ली ने बयान पर ‘कड़ी आपत्ति’ दर्ज कराते हुए इसे ‘चीन के आंतरिक मामलों में अवांछित हस्तक्षेप’ करार दिया। डेंग ने कहा कि चीन ‘मजबूत दृढ़ संकल्प के साथ हर तरह से और किसी भी कीमत पर देश को विभाजित होने से रोकेगा।’

उन्होंने कहा, “पेलोसी की ताइवान यात्रा एक स्पष्ट राजनीतिक चाल है और चीन की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता का गंभीर उल्लंघन करती है। अमेरिका-ताइवान की मिलीभगत और उकसावे के जवाब में चीन का पलटवार स्वाभाविक है।”

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