देश की खबरें | ताइवान को डराने के लिए चीन सैन्य ताकत का इस्तेमाल कर रहा: ताइवान के विदेश मंत्री

नयी दिल्ली, 30 अगस्त ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू ने बुधवार को कहा कि ताइवान को डराने-धमकाने के लिए चीन तेजी से अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रहा है।

उन्होंने यह भी कहा कि ताइवान को संयुक्त राष्ट्र प्रणाली में सार्थक रूप से भाग लेने की अनुमति देना शांति के लिए एकजुट होने के वैश्विक निकाय के दृढ़ संकल्प को प्रदर्शित करेगा।

बीजिंग द्वारा एक नया ‘‘मानचित्र’’ जारी करने के कुछ दिनों बाद वू ने कहा कि चीन का विस्तारवाद ताइवान पर नहीं रुकता है और पूर्वी तथा दक्षिण चीन सागर में गतिविधियों का इस्तेमाल अपनी शक्ति का विस्तार करने और अपने क्षेत्रीय दावों को साबित करने के लिए किया जाता है।

बीजिंग ताइवान को अपना अलग प्रांत मानता है और इस बात पर जोर देता है कि यदि आवश्यक हो तो बलपूर्वक इसे मुख्य भूमि के साथ एकीकृत किया जाना चाहिए। हालांकि, ताइवान खुद को चीन से पूरी तरह अलग मानता है।

ताइवान के विदेश मंत्री ने एक आलेख में कहा कि यूक्रेन पर रूस का आक्रमण इस बात की याद दिलाता है कि कैसे ‘‘निरंकुशताएं’’ मौत और विनाश के बारे में बहुत कम परवाह करती हैं तथा वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए इस तरह के खतरों को रोकना जरूरी है।

सोमवार को, बीजिंग ने तथाकथित ‘‘चीन के मानक मानचित्र’’ का 2023 संस्करण जारी किया जिसमें ताइवान, दक्षिण चीन सागर, अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को चीनी क्षेत्र के रूप में शामिल किया गया है। भारत ने ‘मानचित्र’ को खारिज कर दिया है और इस पर चीन के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया है।

ताइपे आर्थिक और सांस्कृतिक केंद्र द्वारा यहां मीडिया को जारी किए गए लेख में कहा गया है कि ताइवान के लोग दशकों से ताइवान जलडमरूमध्य में शांति और स्थिरता की यथास्थिति की रक्षा करने में संयत रहे हैं। वू ने कहा, ‘‘हालांकि, जैसे-जैसे चीन की आर्थिक और सैन्य ताकत मजबूत हुई है, वह ताइवान को डराने के लिए अपनी सैन्य ताकत का इस्तेमाल करने में तेजी से आक्रामक हो गया है, जिससे हमारी लोकतांत्रिक जीवन शैली को खतरा हो रहा है।’’

ताइवान की आबादी 2.3 करोड़ से ज्यादा है। विदेश मंत्री वू ने कहा कि चीन का ‘‘विस्तारवाद’’ ताइवान तक नहीं रुकता। उन्होंने कहा, ‘‘चीन द्वारा पूर्वी और दक्षिणी चीन सागर में अपनी नापाक गतिविधियों का इस्तेमाल अपनी शक्ति का विस्तार करने और अपने आक्रामक क्षेत्रीय दावों को साबित करने के लिए किया गया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ताइवान को संयुक्त राष्ट्र प्रणाली में सार्थक रूप से भाग लेने की अनुमति देने से वैश्विक मुद्दों को संबोधित करने के दुनिया के प्रयासों को लाभ होगा।’’

भारत और ताइवान के बीच औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं, लेकिन द्विपक्षीय व्यापार संबंध लगातार बढ़ रहे हैं। 1995 में, नयी दिल्ली ने दोनों पक्षों के बीच बातचीत को बढ़ावा देने और व्यापार, पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाने के लिए ताइपे में भारत-ताइपे एसोसिएशन (आईटीए) की स्थापना की। भारत-ताइपे एसोसिएशन को सभी कांसुलर और पासपोर्ट सेवाएं प्रदान करने के लिए भी अधिकृत किया गया है।

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