नयी दिल्ली, 26 सितंबर चीन भारत के साथ व्यावहारिक सहयोग की बहाली में “तेजी” लाने की उम्मीद करता है और दोनों पक्षों के पास मैत्रीपूर्ण सह-अस्तित्व का रास्ता खोजने और संयुक्त रूप से 'एशियाई सदी' बनाने की “क्षमता” है। चीनी दूतावास में चीन की उप-राजदूत मा जिया ने यह बात कही।
चीन की स्थापना की 74वीं वर्षगांठ के अवसर पर कल शाम दूतावास द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में उप-राजदूत मा ने यह भी कहा कि दोनों देशों को संयुक्त रूप से “कुछ भी हासिल न करने वाली कवायदों का विरोध करने और हमारे क्षेत्र को भू-राजनीतिक गणनाओं से दूर रखने” की आवश्यकता है।
अपनी टिप्पणी में उन्होंने पूर्वी लद्दाख सीमा विवाद का भी जिक्र किया।
उन्होंने पूर्वी लद्दाख में लंबे समय से चल रहे सीमा विवाद पर बीजिंग का दावा दोहराते हुए कहा, “सीमा पर स्थिति को आपातकालीन प्रतिक्रिया से सामान्य प्रबंधन और नियंत्रण की ओर ले जाने के लिए दोनों पक्षों ने राजनयिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से संवाद बनाए रखा।”
भारत लगातार यह कहता रहा है कि पूर्वी लद्दाख में सीमा पर स्थिति सामान्य नहीं है और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति समग्र संबंधों को सामान्य बनाने के लिए महत्वपूर्ण है।
वरिष्ठ चीनी राजनयिक ने कहा कि चीन भारत के साथ व्यावहारिक सहयोग की बहाली में ‘तेजी लाने’ की उम्मीद करता है और दोनों पक्षों के पास मैत्रीपूर्ण सह-अस्तित्व का रास्ता खोजने और संयुक्त रूप से ‘एशियाई सदी’ बनाने की “क्षमता और बुद्धिमत्ता” है।
उन्होंने कहा, “हमें आशा है कि हम चीन-भारत संबंधों की सही दिशा पर दृढ़ता से कायम रहेंगे। चीन और भारत शाश्वत पड़ोसी हैं जिन्हें एक-दूसरे के रणनीतिक इरादों को सटीक रूप से समझने की जरूरत है, और एक-दूसरे को कमजोर करने और संदेह करने के बजाय एक-दूसरे की सफलता में समर्थन और योगदान करने की जरूरत है।”
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