बच्चा अपरहण मामला: बच्चे को आंध्र प्रदेश से केरल लाया गया

केरल के विवादास्पद बच्चा गोद लेने के मामले से जुड़े शिशु को केरल राज्य बाल कल्याण परिषद (केएससीसीडब्ल्यू) के अधिकारियों का दल रविवार रात को आंध्र प्रदेश से राज्य वापस लेकर आया.

प्रतिकात्मक तस्वीर (फ़ाइल फोटो)

तिरुवनंतपुरम, 22 नवंबर: केरल (Kerala) के विवादास्पद बच्चा गोद लेने के मामले से जुड़े शिशु को केरल राज्य बाल कल्याण परिषद (केएससीसीडब्ल्यू) के अधिकारियों का दल रविवार रात को आंध्र प्रदेश से राज्य वापस लेकर आया.एक वर्षीय बच्चे की देखभाल उसे गोद लेने वाला आंध्र प्रदेश का एक दंपति कर रहा था. रिश्ते का कत्ल: यूपी में सौतेली मां ने बच्चे की हत्या कर शव को कुएं में फेंका, शादी के बाद से ही कर रही थी प्रताड़ित

ऐसा संदेह है कि यह बच्चा अनुपमा एस चंद्रन का है, जिसने आरोप लगाया है कि उसके माता-पिता ने बच्चे के जन्म के तुरंत बाद उसका अपहरण कर लिया था. उसने आरोप लगाया कि उसके माता-पिता ने उसकी सहमति के बिना ही एक साल पहले केएससीसीडब्ल्यू के जरिए बच्चे को गोद दे दिया था.इसके बाद, बाल कल्याण आयोग ने 18 नवंबर को एक आदेश जारी करते हुए केएससीसीडब्ल्यू को बच्चे को राज्य में वापस लाने का निर्देश दिया था.

केएससीसीडब्ल्यू अधिकारियों के नेतृत्व वाले एक दल ने आंध्र प्रदेश में बच्चे को गोद लेने वाले दंपति से शनिवार को बच्चा लिया और वे उसे वापस केरल लेकर आए. इस दल में किशोर मामलों को देखने वाली पुलिस की विशेष इकाई भी शामिल थी. दल रविवार रात तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डा पहुंचा.बच्चे को बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के निर्देशानुसार बच्चों की देखभाल करने वाली एक संस्था को सौंपा गया.सीडब्ल्यूसी के आदेश के मुताबिक, बच्चे के जैविक माता-पिता का पता लगाने के लिए डीएनए जांच की जाएगी.अनुपमा और उसका साथी अजित बच्चे को वापस लाए जाने की मांग को लेकर कुछ दिनों से यहां केएससीसीडब्ल्यू कार्यालय के सामने प्रदर्शन कर रहे हैं.

उल्लेखनीय है कि अनुपमा ने आरोप लगाया था कि उसके पिता ने उसके नवजात बच्चे को उससे जबरन दूर कर दिया था. उसके पिता मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के स्थानीय नेता हैं और इन आरोपों के बाद राज्य में राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है. सरकार ने इस घटना की विभागीय जांच के आदेश दिए थे.एक पारिवारिक अदालत ने बच्चे को गोद देने की प्रक्रिया पर पिछले महीने रोक लगा दी थी और पुलिस को सीलबंद लिफाफे में विस्तारपूर्वक रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था.

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