तिरुवनंतपुरम, 18 नवंबर : विवादास्पद ‘बच्चा अपहरण’ मामले में यहां बाल कल्याण आयोग ने एक आदेश जारी करते हुए केरल राज्य बाल कल्याण परिषद (केएससीसीडब्ल्यू) को बच्चे को अगले पांच दिनों में राज्य में वापस लाने का निर्देश दिया है. अभी एक साल के इस लड़के की देखभाल आंध्र प्रदेश में एक दंपति कर रहा है. ऐसा संदेह है कि यह लड़का अनुपमा एस चंद्रन का है जिसने अपने माता-पिता पर बच्चे के जन्म के तुरंत बाद उसके अपहरण का आरोप लगाया. उसने आरोप लगाया कि उसके माता-पिता ने एक साल पहले उसकी सहमति के बिना ही केएससीसीडब्ल्यू के जरिए बच्चे को गोद दे दिया. आदेश के मुताबिक, जब बच्चे को वापस राज्य में लाया जाएगा तो उसके जैविक माता-पिता का पता लगाने के लिए डीएनए जांच की जाएगी. आदेश में बच्चे को आंध्र प्रदेश से उसकी यात्रा के दौरान विशेष जुवेनाइल पुलिस इकाई द्वारा सुरक्षा देने का निर्देश भी दिया गया है. अनुपमा और उसके साथी अजित के लिए यह बड़ी राहत वाली खबर है. दोनों बच्चे को वापस लाए जाने की मांग को लेकर कुछ दिनों से यहां केएससीसीडब्ल्यू कार्यालय के सामने खड़े होकर प्रदर्शन कर रहे हैं.
बाल कल्याण समिति ने कहा, ‘‘केएससीसीडब्ल्यू के महासचिव को आदेश मिलने के पांच दिनों के भीतर बच्चे को यहां सीडब्ल्यूसी के समक्ष पेश करने का निर्देश दिया जाता है.’’ आदेश में कहा गया है कि बिना किसी देरी के बच्चे की डीएनए जांच की जानी चाहिए और जब तक उसके नतीजे नहीं आ जाते बच्चा जिला बाल सुरक्षा अधिकारी की देखभाल और सुरक्षा में रहेगा. केएससीसीडब्ल्यू के प्राधिकारियों द्वारा सूचित किए जाने पर अनुपमा और अजित कार्यालय पहुंचे और उन्होंने सुबह आदेश की प्रति ली. इस आदेश पर खुशी जताते हुए अनुपमा ने कहा कि वह तब तक अपना प्रदर्शन जारी रखेगी जब तक बच्चा उसके हाथों में नहीं आ जाता. उसने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘अब बहुत खुशी और राहत महसूस कर रही हूं. यह भी पढ़ें : दिल्ली में न्यूनतम तापमान 9 डिग्री तक गिरने की संभावना: मौसम विभाग
मैं उम्मीद करती हूं कि मैं जल्द ही अपने बच्चे को देख सकूं. मेरा मानना है कि डीएनए जांच के बाद ज्यादा औपचारिकताएं नहीं रह जाएगी और मुझे दिसंबर की शुरुआत तक अपना बच्चा मिल जाएगा.’’ गौरतलब है कि उसने आरोप लगाया था कि उसके पिता ने उसके नवजात बच्चे को जबरन उससे दूर कर दिया. उसके पिता स्थानीय माकपा नेता है और इन आरोपों के बाद राज्य में राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया था. सरकार ने इस घटना की विभागीय जांच के आदेश दिए थे. पिछले महीने एक पारिवारिक अदालत ने बच्चे को गोद देने की प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी और पुलिस को सीलबंद लिफाफे में विस्तारपूर्वक रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था.