सीएम योगी आदित्यनाथ ने बेटियों के पांव पखार कर मातृ शक्ति की आराधना की | Video

सोमवार को जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि योगी ने मातृ शक्ति के प्रति सम्मान की भावना को और मजबूत करते हुए गोरक्षपीठ की परंपरा के अनुरूप कन्या पूजन किया.

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सोमवार को जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि योगी ने मातृ शक्ति के प्रति सम्मान की भावना को और मजबूत करते हुए गोरक्षपीठ की परंपरा के अनुरूप कन्या पूजन किया. गोरखनाथ मंदिर में आयोजित कन्या पूजन कार्यक्रम में गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ ने नौ दुर्गा स्वरूपा कुंवारी कन्याओं के पांव पखारे, उनका विधि विधान से पूजन किया, चुनरी ओढाई, आरती उतारी, श्रद्धापूर्वक भोजन कराया तथा दक्षिणा एवं उपहार देकर उनका आशीर्वाद लिया.

बयान में कहा गया कि 'मातृ शक्ति के प्रति अगाध श्रद्धा व सम्मान गोरक्षपीठ की परंपरा है. मुख्यमंत्री बनने के बाद गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने नारी सुरक्षा, स्वावलंबन और सम्मान की अनेक योजनाओं से इस परंपरा का व्यावहारिक धरातल पर विस्तार किया है.'

इसमें कहा गया है कि योगी आदित्यनाथ ने मंदिर के भोजनालय में पीतल के परात में भरे जल में नौ नन्ही बालिकाओं के बारी-बारी पांव धोये तथा दुर्गा सप्तशती के मंत्रोच्चार के बीच उनके माथे पर रोली, चंदन, दही, अक्षत और दूब (दुर्वा) का तिलक लगाया और माला पहनाकर, चुनरी ओढ़ाकर तथा उपहार एवं दक्षिणा प्रदान कर आशीर्वाद लिया.

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बयान के अनुसार, ‘‘पूजन के बाद इन कन्याओं को मंदिर की रसोई में पकाया गया ताजा भोजन प्रसाद योगी ने अपने हाथों से परोसा और इन नौ कन्याओं के अतिरिक्त बड़ी संख्या में पहुंची बालिकाओं और बटुकों का भी मुख्यमंत्री ने पूजन कर आरती उतारी. सभी को श्रद्धापूर्वक भोजन कराकर उपहार और दक्षिणा दिया गया.’’

कन्या पूजन के दौरान गोरखनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ, काशी से आए महामंडलेश्वर संतोष दास सतुआ बाबा, कालीबाड़ी के महंत रविंद्रदास, गोरखनाथ मंदिर के पुरोहित आचार्य रामानुज त्रिपाठी वैदिक आदि मौजूद रहे.

सीएम योगी ने इसके पूर्व प्रातः काल के पूजन सत्र में मंदिर के शक्तिपीठ में मां सिद्धिदात्री की विधि-विधान से आराधना की. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विजयादशमी (दशहरा) पर्व के अवसर पर प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं. यहां जारी एक सरकारी में बयान में मुख्यमंत्री ने कहा कि ''विजयादशमी का पर्व अधर्म पर धर्म, बुराई पर अच्छाई और असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है. इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण का संहार किया था. सम्पूर्ण भारत में यह पर्व परंपरागत श्रद्धा भाव एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है.''

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