दुर्ग, 24 जनवरी छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले की एक अदालत ने 47 वर्षीय एक व्यक्ति को अपने माता-पिता की गोली मारकर हत्या करने के मामले में फांसी की सजा सुनाई है।
मामले में दो अन्य अभियुक्तों, जिन्होंने हत्या के आरोपी को हथियार की आपूर्ति की थी, को भी पांच-पांच वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है।
विशेष लोक अभियोजक सुरेश प्रसाद शर्मा ने मंगलवार को बताया कि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शैलेश कुमार तिवारी की अदालत ने सोमवार को मामले में फैसला सुनाया। अदालत ने इस घटना को दुर्लभ से दुर्लभतम बताते हुए संदीप जैन को फांसी की सजा दी।
शर्मा ने बताया कि 310 पेज के फैसले में अदालत ने ‘महाभारत’ के कुछ अंशों को उद्धृत किया, जिसमें कहा गया है कि मौत की सजा ही दोषी के लिए उचित सजा होगी, ताकि कोई भी व्यक्ति माता-पिता की हत्या जैसे गंभीर अपराध को करने की हिम्मत न कर सके।
अधिवक्ता के मुताबिक, एक जनवरी 2018 को संदीप ने अपने पिता, शहर के प्रमुख व्यवसायी और सामाजिक कार्यकर्ता रावलमल जैन (72) और मां सूरजी बाई जैन (67) की गोली मारकर हत्या कर दी थी।
उन्होंने बताया कि पुलिस ने परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर जल्द ही संदीप को गिरफ्तार कर लिया था, क्योंकि मृतकों के अलावा एकमात्र व्यक्ति संदीप ही था, जो घटना के समय घर में मौजूद था।
शर्मा के अनुसार, सुनवाई के दौरान अदालत में यह स्थापित हुआ कि पिता और पुत्र के बीच संपत्ति सहित कई मुद्दों पर मतभेद थे।
उन्होंने बताया कि आरोपी के पिता ने अपने घर के भीतर बने मंदिर में अनुष्ठान करने के लिए पुत्र को शिवनाथ नदी से पानी लाने के लिए कहा था, जिससे वह नाराज था।
शर्मा के मुताबिक, संदीप को डर था कि माता-पिता उसे अपनी संपत्ति से बेदखल कर देंगे, इसलिए उसने दोनों की हत्या कर दी।
उन्होंने बताया कि अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद संदीप को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा-302 के तहत मौत की सजा सुनाई है।
शर्मा के अनुसार, इस वारदात के लिए पिस्तौल की आपूर्ति करने के आरोपी भगत सिंह गुरुदत्ता और शैलेंद्र सागर को अदालत ने पांच-पांच साल के कारावास और एक-एक हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है।
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