नयी दिल्ली, पांच नवंबर देश के अगले प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने मंगलवार को कहा कि मौजूदा प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ एक विद्वान न्यायविद हैं जिन्होंने न्याय तक पहुंच को संस्थान की नीति का केंद्र बनाया।
उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ डेटा-संचालित सुधारों को भलीभांति समझते हैं।
न्यायमूर्ति खन्ना अगले हफ्ते 51वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे।
न्यायामूर्ति खन्ना उच्चतम न्यायालय के तीन प्रकाशनों के विमोचन के अवसर पर एक सभा को संबोधित कर रहे थे।
राष्ट्रपति भवन में आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ‘राष्ट्र के लिए न्याय: भारत के उच्चतम न्यायालय के 75 वर्षों पर विचार’, ‘भारत में जेल: जेल मैनुअल का मानचित्रण और सुधार एवं भीड़ कम करने के उपाय' और तथा ‘विधि विद्यालयों के माध्यम से कानूनी सहायता: भारत में कानूनी सहायता प्रकोष्ठों के कामकाज’ का विमोचन किया।
न्यायमूर्ति खन्ना ने अप्रत्यक्ष व अदृश्य भेदभाव और कानून प्रणाली में खर्च व देरी जैसी बाधाओं सहित ग्रामीण इलाकों तथा हाशिए पर रहने वाले लोगों से जुड़े मुद्दों के संबंध में राष्ट्रपति मुर्मू के ‘सुझाव’ पर बात की।
उन्होंने कहा, “इन चुनौतियों से प्रेरित होकर प्रधान न्यायाधीश डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ ने न्याय तक पहुंच को संस्थान की नीति का केंद्र बनाया। प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ न केवल एक विद्वान न्यायविद हैं बल्कि वे सूचना प्रौद्योगिकी और डेटा आधारित सुधारों के महत्व को भी अच्छी तरह समझते हैं।”
उन्होंने कहा, “उनके (प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़) तत्वावधान में अनुसंधान और योजना केंद्र युवा अधिवक्ताओं के लिए थिंक टैंक के रूप में उभरा है।”
उन्होंने कहा कि तीनों प्रकाशन कई मुद्दों पर प्रकाश डालते हैं और न्याय प्रणाली में आवश्यक सुधारों का आह्वान करते हैं।
खन्ना ने यह भी कहा कि विकास और सुधार के लिए आलोचना आवश्यक है।
न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि पहली बार अपराध करने वाले को किसी एक कृत्य से परिभाषित नहीं किया जाना चाहिए और सुधार की शुरुआत न्याय तक पहुंच से होनी चाहिए, जिसमें कानूनी सहायता एक अविभाज्य अधिकार है।
उन्होंने खुली जेलों की अवधारणा और इसके फायदों के बारे में भी बात की।
न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि इसमें परिचालन लागत कम है, बार-बार अपराध करने वाले कम हैं और मानवीय गरिमा बहाल होती है।
उन्होंने कहा, “हमारे यहां जेलों में लगभग 5.20 लाख कैदी हैं, जिनमें अत्यधिक भीड़भाड़ है, जिससे पुनर्वास प्रभावित हो रहा है। पूरे भारत में 91 खुली जेलों के साथ एक प्रगतिशील दृष्टिकोण आकार ले रहा है।”
प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने 17 अक्टूबर को केंद्र सरकार से न्यायमूर्ति खन्ना को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त करने की सिफारिश की थी।
न्यायमूर्ति खन्ना प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ की सेवानिवृत्ति के एक दिन बाद 11 नवंबर को कार्यभार संभालेंगे।
चंद्रचूड़ दो साल तक भारतीय न्यायपालिका के शीर्ष पद पर रहे।
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