नयी दिल्ली, 30 जून केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा मई के अंत में वित्त वर्ष 2022-23 के सालाना बजटीय लक्ष्य का 12.3 प्रतिशत रहा। मुख्य रूप से खर्च बढ़ने से घाटा अधिक रहा है।
बृहस्पतिवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2021-22 में इसी अवधि में राजकोषीय घाटा सालाना बजटीय अनुमान (संशोधित अनुमान) का 8.2 प्रतिशत रहा था।
राजकोषीय घाटा सरकार के कुल व्यय और राजस्व के बीच अंतर को दर्शाता है। यह कुल कर्ज का संकेत है जिसे सरकार को घाटे को पूरा करने के लिये लेने की आवश्यकता होती है।
लेखा महानियंत्रक (सीजीए) के आंकड़ों के अनुसार, निरपेक्ष आधार पर राजकोषीय घाटा मई के अंत में 2,03,921 करोड़ रुपये रहा।
देश का राजकोषीय घाटा मार्च, 2023 को समाप्त वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। जबकि पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में यह 6.71 प्रतिशत रहा था।
आंकड़ों के अनुसार, मई के अंत में सरकार की कुल प्राप्ति 3.81 लाख करोड़ रुपये रही। यह 2022-23 के बजटीय अनुमान का 16.7 प्रतिशत है। पिछले वित्त वर्ष 2021-22 की इसी अवधि में प्राप्ति बजटीय अनुमान का 18 प्रतिशत रही थी।
मई में कर (शुद्ध) राजस्व 2022-23 के बजटीय अनुमान का 15.9 प्रतिशत रहा। यह 2021-22 में बजटीय अनुमान का 15.1 प्रतिशत था। निरपेक्ष रूप से 2022-23 में अप्रैल-मई के दौरान शुद्ध कर राजस्व 3,07,589 करोड़ रुपये रहा।
आंकड़ों के अनुसार, केंद्र सरकार का कुल व्यय मई के अंत में 5.85 लाख करोड़ रुपये रहा जो इस साल के बजटीय अनुमान का 14.8 प्रतिशत है। पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में यह बजटीय अनुमान का 13.7 प्रतिशत था।
वित्त वर्ष 2022-23 में सरकार का राजकोषीय घाटा 16,61,196 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है।
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