देश की खबरें | समलैंगिक विवाह मामले में केंद्र ने कहा : संभव है कि न्यायालय की घोषणा सही कार्रवाई नहीं हो

नयी दिल्ली, 10 मई केंद्र ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि संभव है कि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर उसके द्वारा की गई कोई संवैधानिक घोषणा "सही कार्रवाई" नहीं हो क्योंकि अदालत इसके परिणाम का अनुमान लगाने, परिकल्पना करने, समझने और इससे निपटने में सक्षम नहीं होगी।

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ समलैंगिक विवाह के लिए कानूनी मान्यता की मांग करने वाली याचिकाओं पर नौवें दिन सुनवाई कर रही थी। पीठ ने कहा कि सभी मान रहे हैं कि घोषणा एक ‘रिट’ के रूप में होगी।

पीठ में न्यायमूर्ति एस के कौल, न्यायमूर्ति एस आर भट, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति हिमा कोहली भी शामिल हैं।

न्यायमूर्ति एस आर भट ने कहा, "हम सभी मान रहे हैं कि घोषणा एक रिट के रूप में होगी... मैं संकेत दे रहा था कि एक संवैधानिक अदालत के रूप में, हम केवल किसी स्थिति को पहचानते हैं और वहां की सीमा तय करते हैं...।’’

केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान, "यह महसूस किया गया कि एक घोषणा किए जाने की संभावना है, शादी से कुछ कम लेकिन मौजूदा स्थिति से कुछ ज्यादा।’’

संभव है कि कोई संवैधानिक घोषणा "उचित कार्रवाई नहीं हो’’, इस संबंध में उन्होंने कहा, "आपकी घोषणा अनुच्छेद 141 के अनुसार कानून होगी, जो सभी पर लागू होगी, न कि सिर्फ सभी अदालतों पर, पूरे देश में लागू बाध्य होगी।"

मेहता ने कहा कि कानून की कोई भी घोषणा देश में हर उस व्यक्ति के लिए बाध्यकारी होगी जो सर्वोच्च अदालत के सामने नहीं है।

उन्होंने कहा, किसी कानून के मामले में, प्रत्येक व्यक्ति का उसके द्वारा चुने गए व्यक्ति के जरिए प्रतिनिधित्व किया जाता है और यह पहला मुद्दा है।

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