राहुल गांधी की आवाज दबाना चाहती है केंद्र सरकार: सचिन पायलट
राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने बृहस्पतिवार को केंद्र सरकार पर राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह अडाणी मामले को लेकर मुखर रूप से बोल रहे कांग्रेस नेता राहुल गांधी की आवाज दबाना चाहती है.
जयपुर, 30 मार्च: राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने बृहस्पतिवार को केंद्र सरकार पर राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह अडाणी मामले को लेकर मुखर रूप से बोल रहे कांग्रेस नेता राहुल गांधी की आवाज दबाना चाहती है. इसके साथ ही पायलट ने कहा कि राहुल गांधी को सजा सुनाए जाने से लेकर उसके बाद तक का सारा घटनाक्रम देश के लोकतंत्र के लिए बहुत बड़ा सवाल है. सूरत की एक अदालत द्वारा मानहानि के एक मामले में राहुल गांधी को दोषी ठहराए जाने के बाद उन्हें लोकसभा की सदस्यता से ‘अयोग्य’ ठहराए जाने पर पायलट ने जयपुर में संवाददाताओं से कहा, “इतनी फुर्ती से काम करने की जो मंशा दिख रही है, उसमें मुझे कहीं न कहीं राजनीतिक एजेंडा नजर आता है. (अदालत का) फैसला आना, (राहुल गांधी को) लोकसभा से निकाल देना और (सरकारी) मकान खाली करवाना... ये सभी राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से भरे हुए कदम नजर आते हैं.”
पायलट ने आगे कहा, “(इससे) उदाहरण पेश करने की कोशिश की गई है कि भारत सरकार के खिलाफ जो भी आवाज बुलंद करेगा, संसद में बोलने की कोशिश करेगा, उसे दबाया जाएगा. राहुल गांधी अडाणी मुद्दे को लेकर जितने मुखर रूप से बोल रहे हैं... उसे देखते हुए लगता है कि सरकार उनकी आवाज दबाना चाहती है.” कांग्रेस नेता ने कहा, “मैंने पहली बार देखा है कि केंद्र सरकार ने बिना चर्चा के 45 लाख करोड़ रुपये का बजट पारित करवा दिया. सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्य सदन को चलने नहीं दे रहे हैं, क्योंकि वे चर्चा चाहते ही नहीं हैं. वे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) चाहते ही नहीं हैं. मुझे लगता है कि ये जो पूरा राजनीतिक घटनाक्रम हुआ है, वह देश के लोकतंत्र के लिए बहुत बड़ा सवाल है और जनता इस बात को समझ रही है.” यह भी पढ़ें : राहुल गांधी का प्रधानमंत्री मोदी से कोई मेल नहीं, भाजपा कर्नाटक की सत्ता में लौटेगी: येदियुरप्पा
पायलट ने जयपुर में सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में चार आरोपियों को उच्च न्यायालय द्वारा बरी किए जाने को गंभीर मुद्दा बताया. उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि यह बहुत बड़ा विषय है. जो भी संबद्ध विभाग है, उसकी जांच होनी चाहिए और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए. सरकार को तुरंत अपील करनी चाहिए, ताकि प्रभावित लोगों को न्याय मिल सके.” स्वास्थ्य का अधिकार (आरटीएच) विधेयक के खिलाफ निजी चिकित्सकों के आंदोलन पर पायलट ने कहा कि किसी भी पक्ष को अड़ियल रवैया नहीं रखना चाहिए. उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि सरकार की मंशा सही हो सकती है कि हम ‘यूनिवर्सल हेल्थ’ के लक्ष्य पर खरे उतरें. लेकिन आज जो हालात बने हैं, उसमें मुझे लगता है कि सरकार को हड़ताली चिकित्सा कर्मियों की बात सुनकर कहीं न कहीं ऐसा रास्ता भी निकालना चाहिए कि आम जनता प्रभावित न हो. निजी अस्पतालों और चिकित्सकों के रुख को भी सुना जाना चाहिए.”