नयी दिल्ली, 20 जुलाई मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने माल और सेवाकर (जीएसटी) में वृद्धि को लेकर बुधवार को केंद्र सरकार को आड़े हाथ लेते हुए इसे वापस लेने की मांग की।
पार्टी ने यहां जारी बयान में पैकेट बंद चावल, गेंहू और दूध सहित आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी बढ़ाने के मुद्दे को उठाया और कहा कि इससे लोगों पर ‘‘अभूतपूर्व बोझ’’ पड़ेगा।
माकपा ने कहा, ‘‘आजाद भारत ने खाद्य सामग्री पर कर लगाने की ब्रिटिश उपनिवेशवादी सरकार की नीति को छोड़ दिया था। इन 75 साल में चावल, गेंहू, दाल आदि, रोजाना इस्तेमाल की आवश्यक वस्तुओं जैसे दही, पनीर, मांस, मछली, गुड़ पर कभी कर नहीं लगा। यह मोदी सरकार का भारतीयों को इस साल ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ का उपहार है।’’
वाम दल ने कहा, ‘‘जिन वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी बढ़ाया गया है उनमें दाह संस्कार का शुल्क, अस्पतालों के कमरे, स्याही आदि शामिल हैं। यहां तक कि अपने ही बचत खाते से पैसे निकालने पर कर लगाया गया है। लोगों को बैंक चेक पर 18 फीसदी की जीएसटी देना होगा।’’
माकपा ने कहा कि ‘‘यह लोगों के जीविकोपार्जन पर क्रूर हमला है।’’ पार्टी ने कहा कि यह ऐसे समय किया जब ‘‘उपभोक्ता मूल्य सूचकांक बढ़ रहा है, बेरोजगारी बढ़ रही है, रुपया कमजोर हो रहा, अभूतपूर्व व्यापार घाटा हुआ है और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर डांवाडोल है।’’
पार्टी ने आरोप लगाया, ‘‘कर में इस बढ़ोतरी से लोगों का जीविकोपार्जन और बर्बाद हो जाएगा। राजस्व बढ़ाने के लिए मोदी सरकार को अमीरों पर कर लगाना चाहिए, न कि आम लोगों पर बोझ डालना चाहिए.. अमीरों पर कर लगाने के बजाय, मोदी सरकार उन्हें करों में और छूट दे रही है तथा ऋण माफ कर रही है।’’
माकपा ने कहा कि कई लग्जरी सामान जिन पर भारी कर लगाया जाना चाहिए, उन पर मामूली जीएसटी है। इसने कहा कि सोने की खरीद पर तीन फीसदी कर है, हीरे पर 1.5 प्रतिशत कर है जबकि खाने के सामान पर पांच प्रतिशत या इससे अधिक जीएसटी लगाया गया है।
बयान के मुताबिक, ‘‘मोदी सरकार का कर बढ़ाने के प्रस्ताव का विरोध नहीं होने का दावा पूरी तरह से ‘झूठा’ है।’’
पार्टी ने कहा कि केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर सूचित किया था कि राज्य सरकार को इस पर कड़ी आपत्ति है और याद दिलाया कि नवंबर 2021 में भी राज्य के वित्त मंत्री ने इस पर तब आपत्ति जताई थी जब पहली बार प्रस्ताव लाया गया था।
बयान में कहा गया, ‘‘माकपा पोलित ब्यूरो ने अपनी सभी पार्टी इकाइयों का लोगों के जीवन पर किए गए इस क्रूर हमले के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है।’’
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