नयी दिल्ली, नौ जुलाई सीबीआई ने विद्युत चुम्बकीय प्रवाह मीटरों की आपूर्ति, स्थापना, परीक्षण और कमीशनिंग (एसआईटीसी) के लिए 38 करोड़ रुपये के अनुबंध को लेकर एक अपात्र निजी कंपनी का पक्ष लेने के लिए दिल्ली जल बोर्ड और एनबीसीसी के अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया है। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि सीबीआई ने मामले के संबंध में दिल्ली/एनसीआर में 10 स्थानों पर आरोपियों के परिसरों पर छापेमारी की, जिसमें (लगभग) 1.5 करोड़ रुपये नकदी, लगभग 1.2 करोड़ रुपये के आभूषण, 69 लाख रुपये की सावधि जमा राशि बरामद हुई।
उन्होंने बताया कि एनबीसीसी के तत्कालीन महाप्रबंधक के आवास से संपत्ति के कई दस्तावेज भी मिले हैं।
एजेंसी ने दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के पूर्व अधिकारियों, मुख्य अभियंता जगदीश कुमार अरोड़ा, अधीक्षक अभियंता पी के गुप्ता, कार्यकारी अभियंता सुशील कुमार गोयल, सहायक अभियंता अशोक शर्मा, एएओ रंजीत कुमार, एनबीसीसी के तत्कालीन महाप्रबंधक डी के मित्तल और परियोजना कार्यकारी साधन कुमार के अलावा निजी कंपनी एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
सीबीआई के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि आरोप है कि आरोपियों ने निजी कंपनी को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए साजिश के तहत इसे तकनीकी तौर पर पात्र बनाया (अन्यथा यह कथित तौर पर पात्र नहीं थी)।
आरोप है कि साल दिसंबर 2017 में पांच साल के लिए दिल्ली जल बोर्ड के विद्युत चुम्बकीय प्रवाह मीटरों की आपूर्ति, स्थापना, परीक्षण व कमीशनिंग और संबंधित ओ एवं एम संचालन के लिए निविदा जारी की गई थी।
बयान में कहा गया है, ''यह भी आरोप है कि उक्त निजी कंपनी के साथ आरोपियों की मिलीभगत और एनबीसीसी द्वारा जारी झूठे प्रमाण पत्र व मनगढ़ंत बयान जारी किए जाने के कारण उक्त निजी कंपनी ने 38.02 करोड़ रुपये की निविदा हासिल की थी।''
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