जरुरी जानकारी | सीबीआई ने राणा कपूर की पत्नी, बेटियों को जमानत नहीं देने के विशेष अदालत के फैसले का बचाव किया

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बुधवार को उच्च न्यायालय के समक्ष कहा कि राणा कपूर की पत्नी और दो बेटियों को जमानत देने से विशेष अदालत के इनकार में कानूनी रूप से कुछ भी गलत नहीं था।

इससे पहले विशेष अदालत ने उन्हें निजी क्षेत्र की वित्तीय कंपनी डीएचएफएल से जुड़े भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया था।

सीबीआई ने उच्च न्यायालय की न्यायधीश भारती डांगरे द्वारा कपूर की पत्नी बिंदू और बेटी रोशनी तथा राधा कपूर की जमानत की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह बात कही।

विशेष सीबीआई अदालत ने 18 सितंबर को उन्हें जमानत देने से मना कर दिया था। अदालत ने कहा कि पहली नजर में अवैध गतिविधियों से बैंक को 4,000 करोड़ रुपये के नुकसान की बात सामने आ रही है।

अदालत ने तीनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजते हुए कहा कि वे महिला या छोटे बच्चों की मां होने के नाते कोई सहानुभूति की हकदार नहीं हैं। तीनों बायकूला महिला जेल में बंद हैं।

वही उच्च न्यायालय में दाखिल जमानत याचिका में तीनों महिलाओं ने विशेष अदालत के जमानत नहीं देने के फैसले पर सवाल उठाये हैं।

बिंदु और राधा कपूर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने दलील दी कि गिरफ्तारी और हिरासत की आवश्यकता केवल विशेष परिस्थितियों में होती है, जहां आरोपी के फरार होने की संभावना हो।

जांच एजेंसी की तरफ से पेश वकील ने उच्च न्यायालय के समक्ष तर्क देते हुए कहा कि विशेष अदालत केवल आरोपियों की सुनवाई के लिए उपस्थिति सुनिश्चित कर रही थी। यही वजह है कि उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा गया।

जांच एजेंसी के अनुसार 2018 में अप्रैल-जून के दौरान यस बैंक ने डीएचएफएल के अल्पकालीन डिबेंचर में 3,700 करोड़ रुपये निवेश किये। इसके बदले, डीएचएफएल ने कथित रूप से 900 करोड़ रुपये की रिश्वत कपूर को कर्ज के रूप में दी। यह कर्ज कपूर की पत्नी और उनकी बेटियों के नियंत्रण वाली कंपनी डूइट अरबन वेंचर्स को दिया गया।

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