देश की खबरें | बीपीएससी परीक्षा मामला: राज्यपाल और मुख्य सचिव के हस्तक्षेप के बावजूद गतिरोध जारी

पटना, 30 दिसंबर बिहार के राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर द्वारा बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) के अध्यक्ष परमार रवि मनुभाई को तलब किए जाने और मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा द्वारा प्रदर्शनकारियों के एक वर्ग के साथ बातचीत किए जाने के बावजूद हाल में हुई बीपीएससी परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर गतिरोध सोमवार को भी जारी रहा।

जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने प्रदर्शनकारियों से कहा कि वे नीतीश कुमार सरकार को ‘‘48 घंटे का समय दें और यदि इस समय तक कोई समाधान नहीं निकलता है तो वे अपना आंदोलन फिर से शुरू कर सकते हैं।’’

मीणा से मिलने वाले प्रतिनिधियों में किशोर के पार्टी सहयोगी एवं सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी आर. के. मिश्रा शामिल थे।

किशोर ने प्रतिनिधियों द्वारा जानकारी दिए जाने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए कहा, ‘‘मुख्य सचिव ने धैर्यपूर्वक उनकी बात सुनी है। वे किसी समाधान तक नहीं पहुंच सके क्योंकि यह ऐसा निर्णय है जिसके लिए मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप की आवश्यकता होगी, जिनके आज रात दिल्ली से लौटने की उम्मीद है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री के पास इस मुद्दे का समाधान करने के लिए एक जनवरी तक का समय है। मैं छात्रों से 48 घंटे तक प्रतीक्षा करने का आग्रह करता हूं। यदि तब तक कुछ भी सकारात्मक नहीं आता है, तो वे अपना विरोध प्रदर्शन फिर से शुरू कर सकते हैं। हमारा पूरा समर्थन होगा।’’

हालांकि, एक अन्य प्रतिनिधि जो कि एक असंतुष्ट बीपीएससी उम्मीदवार भी हैं, ने कहा, ‘‘हमारा चौबीस घंटे का विरोध प्रदर्शन, जो गर्दनीबाग में एक सप्ताह से अधिक समय से जारी है, तब तक जारी रहेगा जब तक कि कोई अनुकूल घोषणा नहीं हो जाती।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम मुख्य सचिव महोदय से मिले जवाब से खुश हैं, जिन्होंने हमारी बात धैर्यपूर्वक सुनी, लेकिन हम एक ठोस परिणाम भी चाहते हैं।’’

राज्य के शिक्षा मंत्री सुनील कुमार से इस बाबत पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "बीपीएससी एक सक्षम प्राधिकार है। वह स्थिति का आकलन कर रहा है और उचित समय पर उचित निर्णय लेगा।’’

राज्यपाल और बीपीएससी अध्यक्ष परमार रवि मनुभाई के बीच बैठक के बारे में पूछे जाने पर मंत्री ने कहा, "हम राज्यपाल द्वारा इस मामले में कोई सुझाव दिए जाने तक इंतजार करेंगे।"

उल्लेखनीय है कि निर्दलीय सांसद राजेश रंजन उर्फ ​​पप्पू यादव ने दिन में आर्लेकर से मुलाकात की थी और दावा किया था कि "राज्यपाल ने मेरे सामने बीपीएससी अध्यक्ष को फोन किया और इच्छा व्यक्त की इस मुद्दे से अवगत कराया जाए ताकि वह उचित हस्तक्षेप कर सकें।’’

हालांकि यह पता नहीं चल पाया है कि परमार और राज्यपाल के बीच क्या बातचीत हुई, लेकिन एक वरिष्ठ अधिकारी ने संकेत दिया कि बीपीएससी अपने रुख पर कायम है।

बीपीएससी सचिव सत्य प्रकाश शर्मा ने एक समाचार चैनल से कहा, "आयोग विरोध कर रहे उम्मीदवारों की बात सुनने के लिए तैयार है। लेकिन उन्हें यह समझना चाहिए कि पूरी परीक्षा रद्द करने का सवाल ही नहीं उठता।"

तेरह दिसंबर को बीपीएससी द्वारा आयोजित संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा में पांच लाख से अधिक उम्मीदवार शामिल हुए थे, जब सैकड़ों उम्मीदवारों ने प्रश्नपत्र "लीक" होने का आरोप लगाते हुए परीक्षा का बहिष्कार किया था।

आयोग ने आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया कि परीक्षा रद्द कराने के लिए एक "साजिश" पर काम किया जा रहा है। हालांकि, आयोग द्वारा पटना के बापू परीक्षा केंद्र के 10,000 से अधिक उम्मीदवारों के लिए फिर से परीक्षा आयोजित किए जाने का निर्णय लिया गया है, जहां परीक्षा बाधित हुई थी।

पटना जिला प्रशासन के सूत्रों ने यह भी कहा, "हमने बीपीएससी को वैकल्पिक स्थानों की एक सूची प्रदान की है क्योंकि पुन: परीक्षा बापू परीक्षा केंद्र में आयोजित नहीं की जाएगी। अब अभ्यर्थी 22 परीक्षा केंद्रों पर होंगे।’’

हालांकि, अभ्यर्थियों के एक वर्ग ने इस पर नाराजगी जताई है, जिनका मानना ​​है कि "समान अवसर" के लिए राज्य के सभी 912 केंद्रों पर उपस्थित सभी अभ्यर्थियों के लिए नए सिरे से परीक्षा आयोजित की जानी चाहिए।

बिहार में उन अधिकांश दलों ने विरोध प्रदर्शन का समर्थन किया है, जो राज्य में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की विरोधी हैं।

मुख्य विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और उसकी सहयोगी भाकपा (माले) लिबरेशन की छात्र ईकाई आइसा ने सोमवार को आंदोलन के समर्थन में राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन किया।

राजद और आइसा के कार्यकर्ताओं ने भोजपुर जिले में एक ट्रेन रोकने और पटना सहित कई शहरों में सड़क यातायात को अवरुद्ध करने की कोशिश की।

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