देश की दूसरी सबसे बड़ी तेल शोधक और ईंधन विपणन कंपनी ने शेयर बाजार को बताया कि इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में उसे 2,076.17 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ था।
निजीकरण के रास्ते पर आगे बढ़ रही इस कंपनी ने बताया कि वर्ष 2020 में पहली तिमाही के दौरान कच्चे तेल की कीमतों के 19-20 डॉलर से 40 डॉलर प्रति बैरल के दायरे में तेजी से घटबढ़ हुई। लेकिन इस साल यह घटबढ़ सीमित दायरे में रही।
वही कंपनी की परिचालन आय इस दौरान बढ़कर 89,687.12 करोड़ रुपये पर पहुंच गई, जो बीते वित्त वर्ष की पहली तिमाही में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण 50,616.92 करोड़ रुपये रही थी।
आर्थिक गतिविधियों के साथ ईंधन की मांग में वृद्धि से बीपीसीएल की तेल रिफायनरियों ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 68.4 लाख टन कच्चे तेल का उत्पादन किया, जो वित्त वर्ष 2020 की पहली तिमाही में 54 लाख टन रहा था।
कोरोना की दूसरी लहर के कारण मांग प्रभावित होने से चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कच्चे तेल का उत्पादन जनवरी-मार्च 2021 तिमाही की तुलना में कम रहा, जब 83.9 लाख टन कच्चे तेल का उत्पादन हुआ था।
बीपीसीएल ने अप्रैल-जून 2021 तिमाही के दौरान 96.3 लाख टन पेट्रोलियम उत्पादों को बेचा एक साल पहले इसी तिमाही के दौरान कंपनी ने 75.3 लाख टन पेट्रोलियम उत्पादों की बिक्री की थी।
कंपनी ने पहली तिमाही के दौरान कच्चे तेल के प्रत्येक बैरल को ईंधन में बदलने पर 4.12 डॉलर की कमाई की, जो इससे पिछले साल की पहली तिमाही में 0.39 डॉलर प्रति बैरल के मार्जिन से अधिक है।
सरकार बीपीसीएल में अपनी सारी 52.98 फीसदी हिस्सेदारी बेच रही है। निवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कान्त पांडेय ने बुधवार को कहा कि सरकार का इरादा इस साल बीपीसीएल का निजीकरण पूरा करने का है।
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