देश की खबरें | भाजपा नीत राजग बहुमत हासिल करने की ओर अग्रसर, विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' को भी बड़ा फायदा

नयी दिल्ली, चार जून प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता पर जनमत संग्रह के रूप में प्रचारित किये गए लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए हिंदी भाषी तीन राज्यों में उम्मीद के विपरीत रहे नतीजे और मंगलवार को जारी अब तक के परिणाम एवं रुझानों ने पार्टी को केंद्र में नयी सरकार के गठन को लेकर सहयोगियों पर निर्भर कर दिया है।

सुबह आठ बजे मतगणना शुरू हुई और देर शाम तक भाजपा 240 सीट पर जीत या बढ़त बना कर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर रही है। हालांकि, यह आंकड़ा 543 सदस्यीय लोकसभा में उसके पिछली बार की संख्या (303 सीट) से काफी कम है जो केंद्र में गठबंधन की राजनीति की वापसी का संकेत है।

पार्टी के उम्मीदवारों ने मोदी के नेतृत्व में मौजूदा लोकसभा चुनाव लड़ा था।

भाजपा के मुख्य सहयोगी एन. चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) और नीतीश कुमार की जद(यू) ने क्रमश: आंध्र प्रदेश एवं बिहार में 16 और 12 सीट पर बढ़त बना रखी है या जीत रही है। तेदेपा ने आंध्र प्रदेश में वाई एस जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी को हरा कर विधानसभा चुनाव में भी शानदार जीत हासिल की है।

अपने सहयोगियों के समर्थन से भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) 272 सीट के बहुमत के आंकड़े पर पहुंचने की ओर अग्रसर है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि लोकसभा चुनाव में ‘‘लोकतंत्र और जनता की जीत हुई है।’’

उन्होंने कांग्रेस मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हम यह कहते रहे हैं कि यह लड़ाई जनता और मोदी के बीच है...यह जनादेश मोदी के खिलाफ है। यह उनकी राजनीतिक एवं नैतिक हार है। इस बार जनता ने किसी एक दल को पूर्ण बहुमत नहीं दिया। ख़ासकर, सत्ताधारी दल भाजपा ने एक व्यक्ति-एक चेहरे के नाम पर वोट मांगा था।’’

संवाददाता सम्मेलन में, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सोनिया गांधी भी खरगे के साथ थीं।

राजग यदि फिर से सत्ता में आता है और मोदी प्रधानमंत्री बनते हैं तो लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में वह जवाहरलाल नेहरू के रिकॉर्ड की बराबरी कर लेंगे। लेकिन यह पहली बार होगा, जब मोदी (73) राजनीति में आने के बाद से, सरकार में अपने सहयोगियों पर निर्भर होंगे।

भाजपा को इस चुनाव में उत्तर प्रदेश में बड़ा झटका लगा है, जहां समाजवादी पार्टी (सपा) ने उसे पीछे छोड़ दिया है। राजस्थान और हरियाणा में भी पार्टी (भाजपा का) उम्मीद के विपरीत प्रदर्शन रहा।

प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा चुनाव में राजग के बहुमत हासिल करने को भारत के इतिहास में ‘एक अभूतपूर्व पल’ करार दिया और देशवासियों को विश्वास दिलाया कि वह उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए नई ऊर्जा, नई उमंग, नए संकल्पों के साथ आगे बढ़ेंगे।

मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘देश की जनता-जनार्दन ने एनडीए (राजग) पर लगातार तीसरी बार अपना विश्वास जताया है। भारत के इतिहास में ये एक अभूतपूर्व पल है। मैं इस स्नेह और आशीर्वाद के लिए अपने परिवारजनों को नमन करता हूं।’’

लोकसभा चुनाव ने राहुल गांधी के नेतृत्व में मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के पुनरुत्थान और उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी की महत्वपूर्ण भूमिका को भी रेखांकित किया।

अब तक के रुझानों और नतीजों में भाजपा नीत राजग को वह शानदार जीत नहीं मिली सकी है, जिसकी उसे उम्मीद थी और जैसा कि ‘एग्जिट पोल’ में अनुमान लगाया गया था। दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक प्रक्रिया (चुनाव) में 64 करोड़ से अधिक मतों की गिनती हो रही है।

विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन का हिस्सा कांग्रेस 2019 में जीती गई 52 सीट की तुलना में 99 सीट पर आगे है या जीत रही है, जिससे राजस्थान और हरियाणा में भाजपा की सीटों में सेंध लग गई है। विपक्षी गठबंधन ने 200 से ज़्यादा सीट जीती हैं या उनपर आगे है।

उत्तर प्रदेश में सपा प्रमुख ने ‘इंडिया’ का मनोबल बढ़ाया है, वहीं विपक्षी गठबंधन की एक अन्य प्रमुख सहयोगी तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में 29 सीट पर आगे है या जीत की ओर अग्रसर है, जो 2019 में उसकी 22 सीट के आंकड़े से अधिक है। भाजपा ने राज्य में पिछले लोकसभा चुनाव में 18 सीट जीती थीं, लेकिन इस बार वह 12 सीट पर ही बढ़त बनाए हुए है।

उत्तर प्रदेश में भाजपा 33 सीट पर जीत गई है या आगे है जबकि 2019 में उसकी सीट संख्या 62 थी। इस बार, सपा की सीट संख्या में इजाफा हुआ है। राज्य में लोकसभा की कुल 80 सीट में सपा 37 पर जीत रही है या आगे है।

मोदी ने वाराणसी सीट तो बरकरार रखी, लेकिन जीत का अंतर घट कर 1.53 लाख वोट रह गया। 2019 में यह अंतर 4,79,505 मतों का था।

राहुल गांधी ने वायनाड (केरल) और रायबरेली (उत्तर प्रदेश) सीट पर क्रमशः 3,64,422 और 3,90,030 मतों के बड़े अंतर से जीत हासिल की।

देश में, 19 अप्रैल से एक जून तक सात चरणों में लोकसभा चुनाव हुए।

नतीजों ने भाजपा के उस दावे को कुछ हद तक सही साबित किया कि इस बार दक्षिणी राज्यों में उसे बड़ी सफलता मिलेगी। हालांकि, तमिलनाडु में वह खाता भी नहीं खोल पाई और कर्नाटक में उसे अपनी सीटें गंवानी पड़ी।

भाजपा ने केरल में अपनी स्थिति मजबूत की है, जहां उसने पहली बार एक सीट जीती है, जबकि उस राज्य में कांग्रेस और वाम दल प्रमुख राजनीतिक ताकत हैं। इसके अलावा, तेलंगाना में भी उसने 8 सीट जीती है या उन पर आगे है।

आंध्र प्रदेश में भाजपा की सहयोगी तेलुगू देशम पार्टी 16 सीट पर जीत चुकी है या आगे है तथा भाजपा तीन सीट पर आगे है या जीत रही है।

विपक्ष से कड़ी चुनौती का सामना कर रही भाजपा को सबसे बड़ा झटका उत्तर प्रदेश में लगा। इसके अलावा, राजस्थान और हरियाणा में भी भाजपा को नुकसान उठाना पड़ा। पश्चिम बंगाल में भी पार्टी की सीट संख्या घटी है लेकिन उसने इस नुकसान की भरपाई ओडिशा में कर ली।

मध्य प्रदेश में भाजपा ने सभी 29 सीट पर जीत दर्ज की या आगे है। गुजरात में भी भाजपा 26 में से 25 सीट पर जीत रही है या आगे है।

अन्य राज्यों में स्थिति इतनी निर्णायक नहीं है।

बिहार में भाजपा 12 सीट पर आगे है और उसकी सहयोगी जद(यू) 12 सीट पर आगे है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) चार सीट जीतने की ओर अग्रसर है।

हरियाणा में भी भाजपा को झटका लगा है, जहां पार्टी सिर्फ पांच सीट पर जीत की ओर अग्रसर है जबकि कांग्रेस भी पांच सीट पर आगे है। 2019 में भाजपा ने सभी 10 सीट जीती थी।

महाराष्ट्र में 48 लोकसभा सीट है। पांच साल पहले 23 सीट जीतने वाली भाजपा 11 सीट पर आगे है, जबकि उसकी सहयोगी शिवसेना सात सीट पर बढ़त बनाए हुए है।

वहीं, कांग्रेस 13 सीट पर आगे है, और शिवसेना (यूबीटी) नौ सीट पर आगे है। राकांपा (एसपी) को सात सीट पर जीत मिल सकती है।

लोकसभा चुनाव में, ओडिशा में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन किया है और 21 में से 19 सीट पर आगे है, जबकि सत्तारूढ़ बीजू जनता दल सिर्फ एक सीट पर सिमट कर रह गया है।

साथ ही, ओडिशा विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने दमदार प्रदर्शन किया है और 146 सीट में से पार्टी 76 पर आगे है।

लोकसभा चुनाव में, आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली तेदेपा 25 में से 16 सीट पर आगे है, भाजपा तीन और वाईएसआर कांग्रेस चार सीट पर आगे है।

कर्नाटक के रुझानों में कांग्रेस नौ सीट पर आगे है। भाजपा, जिसे 2019 में 25 सीट मिली थी, 17 सीट पर बढ़त बनाए हुए है।

तमिलनाडु में भाजपा के लिए कोई गुंजाइश नहीं छोड़ते हुए एक अलग कहानी लिखी जा रही है। राज्य में सत्तारूढ़ द्रमुक 22 सीट पर आगे है और सहयोगी कांग्रेस नौ सीट पर बढ़त बनाये हुए है।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)