नयी दिल्ली, पांच नवंबर दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पटाखे फोड़ने को धर्म से जोड़कर लोगों को इस पर प्रतिबंध का उल्लंघन करने के लिए उकसाया।
राय ने कहा कि राजधानी की वायु गुणवत्ता पराली जलाने की घटनाओं और प्रतिबंध के बावजूद कुछ लोगों द्वारा दीपावली पर पटाखे फोड़ने के कारण खराब हुई है। राय ने कहा कि नवंबर में दिल्ली का बेस पॉल्यूशन (प्रदूषण का आधार) जस का तस बना रहा है, केवल दो कारक जुड़े हैं - पटाखे और पराली जलाना।
उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘बड़ी संख्या में लोगों ने पटाखे नहीं फोड़े। मैं उन सभी को धन्यवाद देता हूं, लेकिन कुछ लोगों ने जानबूझकर पटाखे फोड़े। मैं स्पष्ट रूप से कहता हूं कि भाजपा ने उनलोगों को यह सब करने के लिए उकसाया।’’
त्योहारी सीजन से पहले, दिल्ली सरकार ने एक जनवरी, 2022 तक पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी। इसने पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल के खिलाफ एक आक्रामक अभियान भी चलाया था।
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने यह भी कहा कि दिवाली की रात 8 बजे के बाद आतिशबाजी के कारण दिल्ली में पीएम10 और पीएम2.5 सांद्रता में बड़े बदलाव हुए।
डीपीसीसी ने एक रिपोर्ट में कहा, "दिवाली के दिन पार्टीकुलेट मैटर (पीएम) की सांद्रता में धीरे-धीरे वृद्धि देखी गई और मध्यरात्रि में यह उच्च स्थान पर पहुंच गया और फिर धीरे-धीरे कम होना शुरू हो गया।"
राय ने कहा कि दिल्लीवासियों ने पिछले पांच साल की तुलना में इस सीजन अक्टूबर में सबसे स्वच्छ हवा में सांस ली।
मंत्री ने कहा कि पराली जलाने की करीब 3,500 घटनाएं हुई हैं और इसका असर दिल्ली में दिखाई दे रहा है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान एजेंसी ‘सफर’ के अनुसार, शुक्रवार को दिल्ली के पीएम 2.5 में पराली की हस्सेदारी 36 प्रतिशत रही, जो इस मौसम में अब तक का सर्वाधिक आंकड़ा है।
सफर के संस्थापक परियोजना निदेशक गुफरान बेग ने कहा, ‘‘पटाखों के कारण उत्पन्न उत्सर्जन की वजह से दिल्ली की समग्र वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी के उच्च स्तर तक गिर गई है, जबकि पराली जलाने से हुए उत्सर्जन का हिस्सा आज 36 प्रतिशत पर पहुंच गया है।’’
बृहस्पतिवार को, दिल्ली के पीएम2.5 प्रदूषण में पराली का हिस्सा 25 प्रतिशत था।
पिछले साल पांच नवम्बर को दिल्ली के प्रदूषण में पराली की हस्सेदारी 42 प्रतिशत पर पहुंच गई थी, जबकि उससे पहले 2019 में एक नवम्बर को दिल्ली के पीएम2.5 प्रदूषण में यह आंकड़ा 44 प्रतिशत था।
दिल्ली के पीएम2.5 में पराली जलाने का योगदान पिछले साल दिवाली पर 32 फीसदी था, जबकि 2019 में यह 19 फीसदी था।
पराली जलाने से तेजी से बढ़ रही धुंध के बीच दिवाली की रात बड़े पैमाने पर पटाखे फोड़े जाने के बाद शुक्रवार को दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में कोहरे की घनी परत छा गई।
शुक्रवार को 24घंटे का एक्यूआई 462 दर्ज किया गया, जो पिछले पांच साल में सर्वाधिक है।
पड़ोसी नोएडा में पिछले 24 घंटे का वायु गुणवक्ता सूचकांक 475 पर था, जो देश में सर्वाधिक है। फरीदाबाद (469), ग्रेटर नोएडा (464), गाजियाबाद (470), गुरुग्राम (472) में भी वायु गुणवत्ता 'गंभीर' दर्ज की गई।
शून्य और 50 के बीच एक्यूआई को 'अच्छा', 51 और 100 को 'संतोषजनक', 101 और 200 को 'मध्यम', 201 और 300 को 'खराब', 301 और 400 के बीच 'बहुत खराब' और 401 और 500 को 'गंभीर' माना जाता है।
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