बंगाल के शिक्षामंत्री ने राज्यपाल के अंतरिम कुलपतियों को नियुक्त करने के कदम को बताया ‘तानाशाही’

कोलकाता, 04 सितंबर: पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी वी आनंद बोस द्वारा राज्य के सात विश्वविद्यालयों में अंतरिम कुलपतियों की नियुक्ति किए जाने के एक दिन बाद सोमवार को शिक्षामंत्री ब्रत्य बसु ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने राजभवन पर ‘तानाशाही पूर्ण तरीके’ से काम करने का आरोप लगाते हुए दावा किया कि इस कदम से विश्वविद्यालय प्रणाली ‘नष्ट’ हो सकती है. मंत्री ने यह भी कहा कि राज्यपाल का कदम ‘‘राज्य विधानसभा द्वारा पारित विधेयक का उल्लंघन है, जो कुलाधिपति के तौर पर राज्यपाल और राज्य सरकार की विश्वविद्यालयों में भूमिका और कार्यों से संबंधित है.’’ राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के तौर पर राज्यपाल ने रविवार रात को सात विश्वविद्यालयों में अंतरिम कुलपतियों की नियुक्ति की जिनमें प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय, मौलाना अबुल कलाम आजाद यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी और यूनिवर्सिटी ऑफ बर्द्धवान भी शामिल हैं.

बसु ने यहां आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘राज्यपाल के हालिया कदम का उद्देश्य उच्च शिक्षा प्रणाली को नष्ट करना है। वह संबंधित राज्य विश्वविद्यालयों की कानूनी स्थिति को नष्ट कर रहे हैं। ऐसी नियुक्तियां बिना किसी से सलाह के की गयी हैं. वह तानाशाही पूर्ण तरीके से काम कर रहे हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘राज्यपाल कानून के तहत राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति हैं लेकिन वह सीमा का उल्लंघन नहीं कर सकते. हम राज्यपाल की ऐसी कार्रवाई पर मूकदर्शक नहीं बने रहेंगे.’’ राज्य विश्वविद्यालयों के पूर्व कुलपतियों सहित शिक्षाविदों के एक समूह ने राज्यपाल द्वारा कई विश्वविद्यालयों में अंतरिम कुलपतियों की नियुक्ति को ‘मनमाना और अवैध’ बताया.

शिक्षाविदों के एक मंच ने यह भी कहा कि ऐसी नियुक्तियों से राज्य की उच्च शिक्षा प्रणाली को कोई लाभ नहीं होगा. उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और मंच के प्रवक्ता ओम प्रकाश मिश्रा ने ‘पीटीआई-’से कहा, ‘‘ जब भी हम संवाददाता सम्मेलन कर राज्य विश्वविद्यालयों की स्थिति के बारे में बात करते हैं, जहां कोई कुलपति नहीं है, तब राज्यपाल अति सक्रिय हो जाते हैं. वह कानून के मुताबिक काम नहीं कर रहे हैं। उसका कदम मनमाना और अवैध है.’’

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