प्रयागराज, एक नवंबर मथुरा के वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर के लिए गलियारे के निर्माण के मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी।
मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की पीठ मथुरा के आनंद शर्मा और एक अन्य व्यक्ति द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है।
बुधवार को सुनवाई के दौरान सेवायत की ओर से कहा गया कि यह जनहित याचिका सही नहीं है।
सेवायत ने कहा कि बांकेबिहारी मंदिर एक निजी है, इसलिए इस मंदिर के संचालन में हस्तक्षेप करने का राज्य सरकार को कोई अधिकार नहीं है।
राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने अदालत को बताया कि भारी संख्या में बांके बिहारी मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं का प्रबंधन और उनकी सुविधाओं के संबंध में व्यापक योजना के लिए यह जनहित याचिका दायर की गई है।
उन्होंने कहा कि ये दो कारण है जो व्यापक रूप से जनहित से जुड़े हैं, इसलिए राज्य सरकार ने कुछ योजनाएं पेश की हैं।
सरकार के अधिवक्ता ने बताया कि गलियारा निर्माण के लिए भूमि देवता के नाम पर खरीदी जानी है और सरकार सेवायतों के कामकाज में किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं कर रही।
इससे पूर्व सोमवार को याचिकाकर्ता की ओर से आरोप लगाया गया कि गलियारा निर्माण के पीछे सरकार की मंशा दो मंदिरों और वृंदावन की कुंज गली की स्थिति और ढांचा बदलने की है। साथ ही यह भी कहा गया कि बांके बिहारी मंदिर के आसपास कई प्राचीन मंदिर हैं जिन्हें सरकार ध्वस्त करने के बारे में सोच रही है।
इससे पूर्व, सुनवाई के दौरान अदालत को सूचित किया गया था कि राज्य सरकार बांके बिहारी मंदिर के पास पांच एकड़ भूमि का अधिग्रहण करने के बाद एक गलियारा तैयार करने की योजना बना रही है जिससे श्रद्धालुओं को सुविधाएं दी जा सकें।
इस पर अदालत ने राज्य सरकार से बांके बिहारी मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं की व्यवस्था के संबंध में अपना रुख स्पष्ट करने को कहा था।
- राजेंद्र
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