मुंबई, 24 सितंबर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने मंगलवार को कहा कि कीमत स्थिरता और आर्थिक वृद्धि के बीच संतुलन जरूरी है। उन्होंने कहा कि अगर केंद्रीय बैंक मूल्य स्थिरता को प्राथमिकता देता है और इसके लिए ‘बड़े स्तर पर वृद्धि के साथ समझौता करता है’ तो ऐसी परिस्थिति में दोनों के बीच सामंजस्य बैठाने की जरूरत पड़ सकती है।
दास ने काठमांडू में अपने संबोधन में कहा कि अर्थव्यवस्था की मदद के लिए, केंद्रीय बैंकों को मौद्रिक नीति के साथ-साथ सूझबूझ के साथ नियमन और निगरानी जैसे उपायों को अपनाना चाहिए।
उन्होंने नेपाल राष्ट्र बैंक द्वारा आयोजित हिमालय शमशेर स्मृति व्याख्यान में कहा, ‘‘मूल्य स्थिरता और वृद्धि के बीच संतुलन की स्थिति तब उत्पन्न होती है जब मूल्य स्थिरता के लिए वृद्धि को छोड़ा जाता है।’’
दास के अनुसार, यह हो सकता है कि मूल्य स्थिरता के लिए उपाय वित्तीय स्थिरता के लिए उपयुक्त नहीं हों। हाल ही में कुछ विकसित अर्थव्यवस्थाओं में ऐसा ही देखा गया। वहां जब सख्त मौद्रिक नीति ने बैंकिंग प्रणाली की स्थिरता के बारे में चिंताएं बढ़ा दी हैं।
उन्होंने कहा कि भारतीय संदर्भ में आरबीआई के कार्य मूल्य स्थिरता से कहीं अधिक व्यापक हैं और इसमें वित्तीय स्थिरता बनाए रखना शामिल है।
दास ने कहा कि इससे हमें अर्थव्यवस्था के बारे में समग्र दृष्टिकोण अपनाने, तालमेल के साथ आगे बढ़ने और हमारे पास जो भी साधन हैं, उसका उपयोग कर कदम उठाने में मदद मिलती है।
उन्होंने कहा कि आरबीआई ने जो रुख अपनाया, वह अर्थव्यवस्था के लिए ‘अच्छा’ है।’ नीति निर्माता पिछले कुछ साल में भारतीय अर्थव्यवस्था को कई झटकों से बचाने में सक्षम रहे हैं और इसे मजबूत होकर उभरने में भी मदद की है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा, ‘‘भारतीय अर्थव्यवस्था आज बेहतर प्रदर्शन कर रही है और वृहद आर्थिक बुनियाद काफी मजबूत है।’’
भारत ने 2016 में मुद्रास्फीति के लक्ष्य को लेकर लचीली व्यवस्था अपनायी। इसका मकसद परिस्थिति के अनुसार वृद्धि को समर्थन देना है।
उन्होंने कहा, ‘‘मूल्य स्थिरता और वृद्धि को सतत आधार पर बनाये रखने लिए वित्तीय स्थिरता एक पूर्व शर्त है। यह रिजर्व बैंक के मिली जिम्मेदारी में शामिल है। यह वह दृष्टिकोण है जिसने हमें हाल की अवधि में कई चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने और मूल्य स्थिरता, वृद्धि का समर्थन करने और वित्तीय स्थिरता बनाए रखने से जुड़े मुद्दों को हल करने में मदद की है।’’
दास ने कहा कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं ने चुनौतीपूर्ण समय में अधिक मजबूती दिखायी है और बुनियाद को मजबूत करने के लिए कदमों को अपनाया है।
उन्होंने कहा, ‘‘सबसे महत्वपूर्ण सबक यह है कि बुनियाद को मजबूत किया जाए। यह आज की अनिश्चित दुनिया में वैश्विक चुनौतियों के प्रभाव से निपटने का सबसे अच्छा उपाय है। बुनियादी बातों में मुद्रास्फीति लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्धता, रिजर्व के रूप में बफर बनाए रखना और वित्तीय क्षेत्र की नीतियों में सूझबूझ और दूरदर्शी दृष्टिकोण को अपनाना शामिल है।’’
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