'बैड बैंक' न सिर्फ जरूरी है, बल्कि मौजूदा हालात में अपरिहार्य है: पूर्व गवर्नर डी. सुब्बाराव
पूर्व गवर्नर डी. सुब्बाराव (Photo Credits: Twitter)

नई दिल्ली, 26 अगस्त: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर डी. सुब्बाराव (Duvvuri Subbarao) ने मौजूदा हालात में बैड बैंक की जोरदार पैरोकारी करते हुए कहा कि ये न सिर्फ जरूरी हैं, बल्कि अपरिहार्य भी हैं क्योंकि आने वाले दिनों में एनपीए तेजी से बढ़ेगा और ज्यादातर समाधान आईबीसी ढांचे के बाहर होंगे. बैड बैंक में संकटग्रस्त बैंकों के सभी बुरे ऋण या एनपीए स्थानांतरित कर दिए जाते हैं. इससे संकटग्रस्त बैंक के बहीखाते साफ हो जाते हैं और देनदारी बैड बैंक के ऊपर आ जाती है.

यहां तक कि 2017 के आर्थिक सर्वेक्षण में भी इस विचार का उल्लेख था, जिसमें तनावपूर्ण परिसंपत्तियों की समस्या से निपटने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र परिसंपत्ति पुनरूद्धार एजेंसी (पीएआरए) नाम से एक बैड बैंक के गठन का सुझाव दिया गया था. उन्होंने कहा, "बैड बैंक का सबसे बड़ा फायदा यह है कि बिक्री मूल्य के बारे में फैसला लेने वाली इकाई उस कीमत को स्वीकार करने वाली इकाई से अलग होती है. ऐसे में हितों के टकराव और भ्रष्टाचार से बचा जा सकता है, और वास्तव में ऐसा हुआ है."

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सुब्बाराव ने पीटीआई- से एक साक्षात्कार में कहा, "सजा और पुरस्कार के प्रावधानों के साथ सावधानी से डिजाइन किए गए बैड बैंकों के कुछ सफल मॉडल हैं. उदाहरण के लिए हमारे अपने बैड बैंक के गठन के लिए मलेशिया का दानहार्ता एक अच्छा मॉडल है."