नयी दिल्ली , छह अगस्त केन्द्र ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि सक्षम प्राधिकार ने तबलीगी जमात की गतिविधियों में कथित रूप से संलिप्त होने के कारण 35 देशों के नागरिकों को काली सूची में रखने के सरकार के आदेश को चुनौती देने वाले कुछ विदेशी नागिरकों की तलाश में जारी नोटिस वापस ले लिये गये हैं।
न्यायमूर्ति ए के खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ के समक्ष वीडियो कांफ्रेन्स के माध्यम से सुनवाई के दौरान सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ऐसे नागरिक देश से जाने के लिये आजाद हैं बशर्ते उनके खिलाफ अदालत में उपस्थित होने के अदालत के आदेश सहित कोई अन्य कार्यवाही लंबित नहीं हो।
पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘सालिसीटर जनरल ने पूरी साफगोई के साथ यह भी कहा है कि अगर संबंधित याचिकाकर्ता मद्रास उच्च न्यायालय के संबंधित आपराधिक मामले में दी गयी व्यवस्था के अनुरूप माफी मांगते हैं तो आपराधिक मामला लंबित होने के बावजूद उन्हें भारत से जाने की अनुमति दी जा सकती है बशर्ते की संबंधित निचली अदालत इस बारे में आदेश पारित करे।’’
पीठ को सूचित किया गया कि शीर्ष अदालत में आने वाले याचिकाकर्ताओं में से दस ने वीजा मानकों का उल्लंघन करने के मामल में अपने खिलाफ लंबित आपराधिक मुकदमे का सामना करने का निर्णय लिया है और वे अपना जुर्म कबूल कर कम सजा का अनुरोध करने के विकल्प को अपनाने के लिये तैयार नहीं है।
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पीठ ने दिल्ली की विभिन्न अदालतों में इन विदेशियों के खिलाफ लंबित मामले साकेत जिला अदालत परिसर में दक्षिण पूर्वी दिल्ली के मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में स्थानांतरित कर दिये और कहा कि इन मामलों का आज से आठ सप्ताह के भीतर यथाशीघ्र निस्तारण किया जायेगा।
शीर्ष अदालत ने तबलीगी जमात की गतिविधियों में कथित संलिप्तता के कारण 35 देशों के 2765 नागरिाकों को दस साल के लिये काली सूची में रखने के केन्द्र के दो जुलाई के आदेश को चुनौती देने वाले 34 विदेशियों की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया।
पीठ ने अपने आदेश में इस तथ्य को शामिल किया कि सालिसीटर जनरल ने प्राप्त निर्देशों पर कहा है कि इस न्यायालय के समक्ष पेश याचिकाकर्ताओं के खिलाफ जारी लुकआउट नोटिस वापस ले लिया गया है। दूसरे शब्दों में संबंधित याचिकाकर्ता भारत से जाने के लिये स्वतंत्र होंगे बशर्ते उनके खिलाफ किसी अदालत में कोई अन्य कार्यवाही लंबित नहीं हो।
पीठ ने मेहता के कथन के संदर्भ में कहा कि इस स्थिति में यह उचित होगा कि दिल्ली की विभिन्न अदालतों में लंबित इन दस याचिकाकर्ताओं के मामले सुनवाई के लिये उसी अदालत में लाये जायें ताकि सभी मामलों का शीघ्रता से निस्तारण किया जा सके।
इस आदेश के साथ ही न्यायालय ने इस मामले को आठ सप्ताह बाद सुनवाई के लिये सूचीबद्ध कर दिया। न्यायालय ने कहा कि इस आदेश की प्रति संबंधित अदालत और दिल्ली उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल के पास आवश्यक जानकारी और कार्रवाई के लिये प्रेषित की जाये।
अनूप
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