रोजगार की परिभाषा बदल रहा है ऑस्ट्रेलिया
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

ऑस्ट्रेलिया में सरकार पूर्ण रोजगार की परिभाषा बदलने पर विचार कर रही है ताकि आधुनिक परिस्थितियों के अनुरूप बेरोजगारी दर को कम से कम रखा जा सके.ऑस्ट्रेलिया में हाल ही में प्रकाशित एक श्वेत-पत्र में कहा गया है कि नीति-निर्माताओं को अर्थव्यवस्था में अल्प-रोजगार (Under Employment) और अल्प-उपयोग (Under Utilisation) की वास्तविकता को भी स्वीकार करना चाहिए क्योंकि इसका असर पूरे देश के तमाम समुदायों पर हो रहा है.

श्वेत-पत्र में सरकार ने कहा है कि वह नीतियां बनाते वक्त उन बाधाओं को दूर करने की कोशिश करेगी जो लोगों को कोई स्किल हासिल करने से रोक रही हैं. सरकार का मानना है कि ढांचागत बेरोजगारी को कम करने की कोशिश की जाएगी ताकि रोजगार क्षेत्र के निचले स्तर में स्किल के अंडरयूटिलाइजेशन को कम किया जाए.

क्या है पूर्ण रोजगार?

श्वेत-पत्र के मुताबिक पूर्ण रोजगार की परिभाषा और उसके अधार पर लोगों को मिलने वाली नौकरियों का लोगों के जीवन पर खासा असर होता है. इसलिए उसमें अल्प-रोजगार और अल्प-उपयोग की स्पष्ट परिभाषा को शामिल करना जरूरी है.

श्वेत-पत्र कहता है कि ऑस्ट्रेलिया में जिन लोगों को पूर्ण रोजगार हासिल माना जाता है, ऐसे हरेक व्यक्ति पर चार ऐसे लोग हैं जो काम तो करना चाहते हैं लेकिन या तो वे काम नहीं कर रहे हैं या फिर उतना नहीं कर रहे हैं, जितना वे करना चाहते हैं.

आंकड़े बताते हैं कि करीब ढाई करोड़ की आबादी वाले देश में इस वक्त 5 लाख लोग ऐसे हैं जिन्हें पूरी तरह बेरोजगार की श्रेणी में रखा जा सकता है. यानी वे काम करना चाहते हैं, काम की तलाश कर रहे हैं और काम के लिए उपलब्ध हैं लेकिन उनके पास काम नहीं है.

लेकिन इनके अलावा 13 लाख लोग ऐसे भी हैं जो काम करना तो चाहते हैं पर काम तलाश नहीं रहे हैं या अभी तुरंत किसी नौकरी के लिए उपलब्ध नहीं हैं. इन लोगों को ‘संभावित श्रमिकों' की श्रेणी में रखा जाता है.

करीब दस लाख लोग ऐसे भी हैं जो काम तो कर रहे हैं पर ज्यादा घंटे काम करना चाहते हैं. इन लोगों को अतिरिक्त घंटे उपलब्ध नहीं हैं. इन लोगों को अल्प-रोजगार की श्रेणी में रखा जाता है. अगर इन सभी को मिला दिया जाए तो 14 लाख लोग पूर्ण रोजगार की श्रेणी में आ जाएंगे.

क्या होगी नयी परिभाषा?

सरकार ने कहा है कि वह पूर्ण रोजगार की परिभाषा को विस्तृत करना चाहती है ताकि श्रम-बाजार की आधुनिक परिस्थितियों को इसके भीतर समाहित किया जा सके. श्वेत पत्र के मुताबिक पूर्ण रोजगार को अक्सर आंकड़ों पर आधारित अनुमान के भीतर समेट दिया जाता है, मसलन नॉन-एक्सलरेटिंग इन्फ्लेशन रेट ऑफ अनइंपलॉयमेंट (NAIRU).

श्वेत-पत्र कहता है कि नायरू रोजगार का एक ऐसा तकनीकी अनुमान है जिसे अर्थव्यववस्था कम अवधि में इस तरह संभाल सकती है कि महंगाई ना बढ़े. लेकिन इससे अर्थव्यवस्था की पूरी क्षमता का पता नहीं चलता. अर्थशास्त्री कहते हैं कि बेरोजगारी दर को ज्यादा होना चाहिए.

ऑस्ट्रेलिया सरकार का कहना है कि उसका मकसद लोगों को टिकाऊ और समेकित पूर्ण रोजगार उपलब्ध कराना है. यानी हर व्यक्ति जो काम करना चाहता है, बिना बहुत ज्यादा तलाश के अपनी पसंद का रोजगार हासिल कर सके. यह ऐसा रोजगार हो, जो सुरक्षित हो और जिसमें अच्छा वेतन मिले.

सरकार के मुताबिक टिकाऊ पूर्ण रोजगार से उसका अर्थ विभिन्न नीतियों का इस्तेमाल करके अर्थव्यवस्था के विभिन्न चरणों में रोजगार के स्तर को टिकाऊ बनाया जा सके. यानी यह स्तर इसी तरह बना रहे लेकिन ऐसा भी ना हो कि ज्यादा लोगों के पास रोजगार होने से महंगाई बढ़ जाए.

पूर्ण रोजगार की परिभाषा का दूसरा अहम तत्व समेकन है. यानी श्रम बाजार की संभावनाओं को विस्तृत किया जा सके. काम खोजने और करने में आ रहीं बाधाएं कम की जा सकें. लोगों के कौशल का पूरा इस्तेमाल हो और लंबे समय तक होता रहे.