बलिया: भारतीय जनता पार्टी (BJP) की प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य एवं पूर्व विधायक राम इकबाल सिंह (Ram Iqbal Singh) ने दावा किया है कि कोरोना (Coronavirus) की पहली लहर (First Wave) से सबक न लेने के कारण दूसरी लहर (Second Wave) में हर गांव में कम से कम दस लोगों की मौत कोरोना संक्रमण (Corona Infection) से हुई है. बीजेपी नेता राम इकबाल सिंह ने शनिवार शाम को बलिया (Ballia) जिले के नगरा में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए बीजेपी सरकार को असहज करने वाला यह बयान दिया है. Uttar Pradesh Corona Update: यूपी में पिछले 24 घंटे में 222 कोरोना के नए मामले दर्ज हुए, 45 लोगों की गई जान
सिंह ने कहा है कि स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना की पहली लहर से सबक नहीं लिया और इस वजह से दूसरी लहर में बड़ी संख्या में संक्रमितों की मौत हुई है. उन्होंने दावा किया कि कोई ऐसा गांव नहीं है, जहां कोरोना संक्रमण से 10 लोगों की जान न गई हो. सिंह ने संक्रमण से जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की मांग भी की.
पूर्व विधायक ने आरोप लगाया कि बलिया जिले में स्वास्थ्य विभाग की पूरी व्यवस्था ध्वस्त हो गई है और आजादी के 75 वर्ष बाद 34 लाख आबादी वाले इस जिले के अस्पतालों में न डॉक्टर हैं और न दवाएं.
जब पूछा गया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले दिनों बलिया के दौरे में स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्था पर संतोष प्रकट किया था तो बीजेपी नेता ने आरोप लगाया कि अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को गुमराह किया है, उन्हें सच्चाई नहीं दिखाई.
सिंह ने किसानों की स्थिति को लेकर भी बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि किसान आज पूरी तरह से तबाह हो चुके हैं तथा अन्नदाता अब खेती छोड़ने के लिए विवश हो गए हैं.
बीजेपी नेता ने कहा कि गेहूं खरीद पर सरकार ने एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) 1975 रुपये कर पिछले वर्ष की खरीद दर से केवल 72 रुपये की ही बढ़ोत्तरी की है जबकि किसानों की लागत दोगुना बढ़ गई है. उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार को डीजल पर किसानों को सब्सिडी देनी चाहिए.
सिंह ने स्पष्ट किया कि वह बीजेपी सरकार को सचेत करने के लिए यह बयान दे रहे हैं ताकि उत्तर प्रदेश विधानसभा के आगामी चुनाव में पार्टी को इस दुर्व्यवस्था के कारण खामियाजा भुगतना न पड़े.
ऐसा पहली बार नहीं है जब किसी बीजेपी नेता ने कोविड-19 महामारी के प्रबंधन को लेकर अपनी नाराजगी जताई हो. इससे पहले, मई में सीतापुर से बीजेपी के विधायक राकेश राठौर ने कोविड-19 के प्रबंधन की व्यवस्था पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था, ''अब विधायकों की क्या हैसियत रह गई है, अगर हम ज्यादा बोलते हैं तो हम पर देशद्रोह का आरोप लगा दिया जाएगा.''
इसी तरह गत नौ मई को केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने बरेली में कोविड-19 से निपटने की व्यवस्था को लेकर अपनी नाराजगी दर्ज करायी थी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखे पत्र में उन्होंने आरोप लगाया था कि अधिकारी टेलीफोन नहीं उठाते हैं और रेफर करने के नाम पर सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों से मरीजों को लौटाया जा रहा है. गंगवार ने बरेली में खाली ऑक्सीजन सिलेंडर की भारी किल्लत और चिकित्सा उपकरणों को ऊंचे दामों पर बेचे जाने की शिकायत भी की थी.
इसके एक दिन बाद फिरोजाबाद की जसराना सीट से बीजेपी विधायक रामगोपाल लोधी ने दावा किया था कि कोविड-19 संक्रमित उनकी पत्नी को आगरा के अस्पताल में बिस्तर नहीं मिलने की वजह से तीन घंटे से ज्यादा वक्त तक जमीन पर लेटना पड़ा था. लोधी ने सोशल मीडिया पर अपना एक वीडियो भी डाला था जिससे राज्य सरकार के सामने असहज स्थितियां पैदा हो गई थी.
इससे पहले, अप्रैल के महीने में प्रदेश के कानून मंत्री बृजेश पाठक ने भी स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को एक 'गोपनीय' पत्र लिखा था, जो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. पाठक ने पत्र में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के रवैये पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि अस्पतालों में कोविड-19 के मरीजों के लिए बिस्तर की कमी हो गई है और एंबुलेंस सेवा भी ठीक से नहीं चल पा रही है.
दूसरी ओर, बीजेपी किसान मोर्चा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष व सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत पर किसान आंदोलन को भटकाने का आरोप लगाते हुए कहा है कि टिकैत को आंदोलन को किसान केंद्रित ही रखना चाहिए था. सांसद ने शनिवार की शाम बलिया में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत उनके मित्र हैं, लेकिन वह किसान आंदोलन को पटरी से उतार रहे हैं.
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